नदी और जीवन
नदी ढूंढ लेती है अपना मार्ग
सुदूर पर्वतों से निकल
हजारों किलोमीटर की यात्रा कर
बिना किसी नक्शे की सहायता के
और पहुँच जाती है
एक दिन सागर तक
नदी अनवरत बहती है
कभी दौड़ती हुई
कभी मंथर
समतल धरा पर थोड़ा विश्राम
लेती होती है प्रतीत
पर भीतर-भीतर गतिमान है
नदी एक जीवन की तरह है
जीवन जो कभी टकराता है
बाधाओं रूपी चट्टानों से
कभी सिमट जाता है कन्दराओं में
अंधेरी सीलन भरी
पा जाता है कभी खुला मार्ग
दूर तक सपाट और कभी ढलान
जिस पर फिसलता जाता है
पर हर जीवन भी एक न एक दिन
पा लेता है गंतव्य
चाहे हजारों जन्म लेने पड़ें
हर दो जन्मों के मध्य कुछ आगे बढ़ता है !
कभी विकारों की दलदल में फँसता है
कभी द्वेष के रेगिस्तानों में झुलस जाता है
फिर किसी जन्म में शीतल छाँव मिलती है
दोनों तटों पर घने वृक्षों की
तो एक दिशा पा लेता है
संयम और विश्वास के तटों के मध्य बहता हुआ
पहुँच जाता है अनंत में
जल जो मुक्त हुआ था सागर से वाष्प बनकर
वही तो हिम शिलाओं पर बरस कर
दौड़ता है पुनः अपने घर की ओर
जीवन जो प्रकटा है अनंत से
वही तो पुनर्मिलन चाहता है
घर जाना है दोनों को
वही पूर्ण विश्राम है
उसी में छिपा राम है !
सार्थक रचना।
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
हटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 12 अप्रैल 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार यशोदा जी !
हटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (13-4-21) को "काश में सोलह की हो जाती" (चर्चा अंक 4035) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
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कामिनी सिन्हा
सुंदर भावाभिव्यक्ति, जीवन और नदी एक दूसरे के पूरक हैं, हर विषम परिस्थिति का सामना करते हुए निरंतर बहना है, और अपने गंतव्य तक पहुंचना है,सार्थक सृजन । नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंआपको भी नवरात्रि की शुभकामनाएं। आभार !
हटाएंप्रवाहमान जीवन दर्शन की प्रांजल अभिव्यंजना!!!
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रतिक्रिया !
हटाएंस्वागत व आभार !
जवाब देंहटाएंजल जो मुक्त हुआ था सागर से वाष्प बनकर
जवाब देंहटाएंवही तो हिम शिलाओं पर बरस कर
दौड़ता है पुनः अपने घर की ओर...जल और जीवन को अच्छा जोड़ा है आपने
सुन्दर लेखन...
चलो उठो, बनो विजयी हार ना मानो तुम
घर जाना है दोनों को
जवाब देंहटाएंवही पूर्ण विश्राम है
उसी में छिपा राम है !
वाह...👌
वाह बहुत खूब, बहुत ही अच्छी कविता हार्दिक शुभकामनाएं
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