मन पाए विश्राम जहाँ
नए वर्ष में नए नाम के साथ प्रस्तुत है यह ब्लॉग !
शुक्रवार, जुलाई 28
थम जाता सुन मधुर रागिनी
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थम जाता सुन मधुर रागिनी कोमल उर की कोंपल भीतर खिलने को आतुर है प्रतिपल , जब तक खुद को नहीं लुटाया दूर नजर आती है मंजिल ! म...
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सोमवार, जुलाई 24
कविता हुंकारना चाहती है
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कविता हुंकारना चाहती है छिपी है अंतर के गह्वर में या उड़ रही है नील अंतरिक्ष की ऊँचाईयों में घूमती बियाबान मरुथलों में या डुबकी...
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शनिवार, जुलाई 15
उन अँधेरों से डरें क्यों
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उन अँधेरों से डरें क्यों खो गया है घर में कोई चलो उसे ढूँढ़ते हैं बह रही जो मन की सरिता बांध कोई बाँधते हैं आँधियों की ऊर्जा क...
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बुधवार, जुलाई 12
गाना होगा अनगाया गीत
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गाना होगा अनगाया गीत गंध भी प्रतीक्षा करती है उन नासापुटों की , जो उसे सराहें प्रसाद भी प्रतीक्षा करता है उन हाथों की , जो उस...
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सोमवार, जुलाई 10
मानव और परमात्मा
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मानव और परमात्मा मुक्ति की तलाश करे अथवा ऐश्वर्यों की परमात्मा होना चाहता है मानव या कहें ‘व्यष्टि’ बनना चाहता है ‘समष्टि’ ...
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रविवार, जुलाई 9
गुरू पूर्णिमा के अवसर पर
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गुरू पूर्णिमा के अवसर पर युगों-युगों से राह दिखाते उर-अंतर का तमस मिटाते , ज्योति शिखा सम सदा प्रज्ज्वलित सीमाओं में नहीं ...
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शनिवार, जुलाई 8
जादूगर और माया
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जादूगर और माया चला आता उसी तरह दुःख पीछे सुख के जैसे आदमी के पीछे उसकी छाया भर दामन में ख़ुशी बाँटने निकले कोई तो बदल देती ...
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शुक्रवार, जुलाई 7
यहाँ दो नहीं हैं
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यहाँ दो नहीं हैं हर बार जब मैंने तुम्हें चाहा है खुद को ही पसंद किया है हर बार जब तुम्हारी किसी बात को सराहा है अपनी पीठ थपथ...
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गुरुवार, जुलाई 6
बन जाता वह खुद ही मस्ती
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बन जाता वह खुद ही मस्ती मस्ती की है प्यास सभी को हस्ती की तलाश सभी को मस्ती जो बिछड़े न मिलकर हस्ती जो बोले बढ़चढ़ कर दो...
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बुधवार, जुलाई 5
थामता है हर घड़ी वह
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थामता है हर घड़ी वह बूँद बनकर जो मिला था सिंधु सा वह बढ़ा आता, रोशनी की इक किरण था बन उजाला पथ दिखाता ! थामता है हर घड़ी वह...
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सोमवार, जुलाई 3
जीवन की शाम
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जीवन की शाम कितने बसंत बीते...याद नहीं मन आज थका सा लगता मकड़जाल जो खुद ही बुना है और अब जिसमें दम घुटता है जमीनें जो कभ...
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