मृत्यु एक पड़ाव भर है
जन्म के पीछे छिपी है मृत्यु
ज्ञानी तत्क्षण देख रहा है,
नई यात्रा पर जाना है
मृत्यु एक पड़ाव भर है !
जग यह इक दिन खो जायेगा
धूल में मिल जायेगा सब धन,
अंधकार में छिपा उजाला
छिपा जरा में है नव यौवन !
होती जब धौंकनी खाली
शक्ति से फिर भर जाती,
सांसे जब बाहर जाती हैं
तब ही तो भीतर आतीं !
हर श्वास पर मरता मानव
हर श्वास जीवन दे देती,
जीकर मरना, मरकर जीना
दो पैरों पर होती है गति !
यहाँ जिंदगी पल-पल देती
खालीपन भी भर जायेगा,
भरा हुआ पर जो पहले से
कैसे वह कुछ भी पायेगा !
हर क्षण जग खिलता-मिटता है
प्रेम में नफरत का पुट होता,
द्वन्द्वों से ही सृष्टि चलन है
सुख मोती दुःख तार पिरोता !
मृत्यु एक सरिता है जिसमें ,श्रम से कातर जीव नहा कर,
जवाब देंहटाएंफिर नूतन धारण करता है काया रूपी वस्त्र बहाकर !
प्रतिभा जी, बहुत सुंदर पंक्तियाँ लिखी हैं आपने..आभार!
हटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार(18-5-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ!
वन्दना जी, आभार !
हटाएंसार्थक प्रस्तुति!!सादर ....
जवाब देंहटाएंयहाँ जिंदगी पल-पल देती
जवाब देंहटाएंखालीपन भी भर जायेगा,
भरा हुआ पर जो पहले से
कैसे वह कुछ भी पायेगा !...बहुत सुन्दर भाव..
बहुत सुंदर भाव.....दार्शनिक सोंदर्य से भरी रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद...
kya bat hai bhot khub.......
जवाब देंहटाएंहर क्षण जग खिलता-मिटता है
जवाब देंहटाएंप्रेम में नफरत का पुट होता,
द्वन्द्वों से ही सृष्टि चलन है
सुख मोती दुःख तार पिरोता !
अति सुन्दर रचना. सच में मृत्यु एक पड़ाव सा ही है.
बढ़िया
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंसाझा करने के लिए आभार!
हर श्वास पर मरता मानव
जवाब देंहटाएंहर श्वास जीवन दे देती,
जीकर मरना, मरकर जीना
दो पैरों पर होती है गति !
बेहतरीन....
सादर
अनु
bahut achchhi kavita aneeta ji !
जवाब देंहटाएंsaadar !
जीवन भी तो एक पढाव ही है ... ए पढाव से दूसरे में जाना फिर जाना ...
जवाब देंहटाएंदार्शनिक भाव लिए ...
bahut achchhi jivn ko jivnt krne vali rchna.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर दार्शनिक भाव....
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
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जवाब देंहटाएंजग यह इक दिन खो जायेगा
धूल में मिल जायेगा सब धन,
अंधकार में छिपा उजाला
वर्तमान का सच तो यही है-------
जीवन का सच
मन को स्पर्श करती रचना
उत्कृष्ट प्रस्तुति
बधाई
आग्रह है पढ़ें "बूंद-"
http://jyoti-khare.blogspot.in
हर क्षण जग खिलता-मिटता है
जवाब देंहटाएंप्रेम में नफरत का पुट होता,
द्वन्द्वों से ही सृष्टि चलन है
सुख मोती दुःख तार पिरोता !
जीवन की बड़ी सच्चाई से सामना कराती सुन्दर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंसमय का पहिया चलता जाए ,दिन आये चाहे आये रात ,मृत्यु आये या जन्म प्रभात .बढ़िया प्रस्तुति .सारगर्भित .
जन्म के पीछे छिपी है मृत्यु
ज्ञानी तत्क्षण देख रहा है,
नई यात्रा पर जाना है
मृत्यु एक पड़ाव भर है !
मृत्यु जीवन का एक्सटेंशन नम्बर है ,विस्तार संख्या है .
बहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंआप सभी सुधी जनों का स्वागत व आभार!
जवाब देंहटाएंशाश्वत सत्य..
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