मन पाए विश्राम जहाँ

नए वर्ष में नए नाम के साथ प्रस्तुत है यह ब्लॉग !

शुक्रवार, जनवरी 29

बहा करो उन्मुक्त पवन सम

›
बहा करो उन्मुक्त पवन सम  अनल, अनिल, वसुधा, पानी से  जीवन का संगीत उपजता,  मिले-जुले सब तत्व दे रहे  संसृति को अनुपम समरसता ! हर कलुष मिटाती ...
12 टिप्‍पणियां:
गुरुवार, जनवरी 28

आस्था का दीप

›
 आस्था का दीप  वक्त पर जो थाम ले गिरते हुए को  बढ़े आगे हाथ दे हिलते हुए को, जो गमों की धूप से दिल को बचाए ज्ञान वह जो डूबते के काम आये ! ज्ञ...
6 टिप्‍पणियां:
बुधवार, जनवरी 27

दिल्ली

›
दिल्ली  देश की राजधानी बनने की  बड़ी ही भारी कीमत चुकाई है अतीत में भी  अनेकों बार दिल्ली ने !  एक बार फिर सुबह की शांत दिल्ली  दोपहर को बदल ...
7 टिप्‍पणियां:
सोमवार, जनवरी 25

गणतन्त्र दिवस पर शुभकामनायें

›
गणतन्त्र दिवस पर शुभकामनायें  गणपति के देश में फलता-फूलता रहा है गणतन्त्र शताब्दियों से इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं उन गणराज्यों की अने...
12 टिप्‍पणियां:
रविवार, जनवरी 24

हवा का सागर

›
हवा का सागर   हवा की सरगोशियाँ गर कोई सुन सके  पल भर भी तन्हा छोड़ती न रब हो जैसे  लिपट जाती परस उसका फूल जैसा  जिंदगी को राह देती श्वास बनकर...
6 टिप्‍पणियां:
बुधवार, जनवरी 20

कुछ ख्याल

›
कुछ ख्याल  ‘कुछ’ होने से ‘कुछ नहीं’ हो जाना   इश्क का इतना सा ही तो फ़साना   चुप रहकर ही यह बयां होता है  आवाजों में बस रुसवा होता है  सुनो, ...
15 टिप्‍पणियां:
मंगलवार, जनवरी 19

बस इतना सा ही सरमाया

›
बस इतना सा ही सरमाया गीत अनकहे, उश्ना उर की  बस इतना सा ही सरमाया !  काँधे पर जीवन हल रखकर  धरती पर जब कदम बढाये  कुछ शब्दों के बीज गिराकर  ...
4 टिप्‍पणियां:
सोमवार, जनवरी 18

कोई जानता है

›
 कोई जानता है मन के ‘परदे’ पर  यादों की फिल्म चलती है  ‘वह’ उसी तरह रहता है अलिप्त  जैसे आँख के पर्दे पर  चित्र बने अग्नि का तो जलती नहीं  न...
9 टिप्‍पणियां:
रविवार, जनवरी 17

तुम यदि

›
तुम यदि   तुम यदि बन जाओ सूत्रधार  तो सँवर ही जायेगा जीवन का हर क्षण   मुस्कान झरेगी जैसे झरते हैं फूल शेफाली के  अनायास ही  हवा के हल्के से...
3 टिप्‍पणियां:
शुक्रवार, जनवरी 15

सहज है जीवन भूल गए

›
सहज है जीवन भूल गए   जग को जहाँ सँवारा हमने  मन पर धूल गिरी थी आकर,  जग पानी पी-पी कर धोया  मन का प्रक्षालन भूल गए ! नाजुक है जो जरा ठेस से ...
6 टिप्‍पणियां:
मंगलवार, जनवरी 12

सब कुछ उसमें वह सबमें है

›
सब कुछ उसमें वह सबमें है झर-झर बरस रहा है बादल  भर ले कोई खोले आँचल,  सिक्त हुआ आलम जब सारा  क्यों प्यासा है मन यह पागल ! सर-सर बहता पवन सुह...
12 टिप्‍पणियां:
रविवार, जनवरी 10

मंजिल पर ही बैठ मुसाफिर

›
मंजिल पर ही बैठ मुसाफिर  कहाँ गए ?  थे हवामहल ही  कहाँ गया वह लक्ष्य साधता,  मंजिल पर ही बैठ मुसाफिर  पूछा करता था जो रस्ता !  नहीं मिला जब ...
20 टिप्‍पणियां:
शुक्रवार, जनवरी 8

सपनों से जब पार गया मन

›
सपनों से जब पार गया मन  सुंदर सपने, कोमल आशा  पढ़ी प्रेम की यह परिभाषा,   सपनों से जब पार गया मन  संग निराशा छूटी आशा ! उसी प्रेम में उठना सी...
9 टिप्‍पणियां:
मंगलवार, जनवरी 5

नींद में ही सही...

›
नींद में ही सही... कुछ स्मृतियाँ कुछ कल्पनाएँ  बुनता रहता है मन हर पल  चूक जाता है इस उलझन में  आत्मा का निर्मल स्पर्श....  यूँ तो चहूँ ओर ह...
16 टिप्‍पणियां:
रविवार, जनवरी 3

निंदा -स्तुति

›
निंदा -स्तुति तारीफें झूठी होती हैं अक्सर  उन पर हम आँख मूंदकर भरोसा करते हैं  फटकार सही हो सकती है  पर कान नहीं धरते हैं  प्रशंसकों को मित्...
9 टिप्‍पणियां:
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
Anita
यह अनंत सृष्टि एक रहस्य का आवरण ओढ़े हुए है, काव्य में यह शक्ति है कि उस रहस्य को उजागर करे या उसे और भी घना कर दे! लिखना मेरे लिये सत्य के निकट आने का प्रयास है.
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें
Blogger द्वारा संचालित.