एक दिन
अनंत है सृष्टि का विस्तार
अरबों-खरबों आकाशगंगाएं हैं अपार
अरबों-खरबों आकाशगंगाएं हैं अपार
जिनमें अनगिनत तारा मण्डल
और न जाने कितनी पृथ्वियाँ होंगी
कितने सौर मण्डल
जानते हैं इस ब्रह्मांड के बारे में कितना कम
ब्रह्मांड को छोड़ें तो इस पिंड से भी
कितने अनभिज्ञ हैं हम
जैसे जल में मीन
वैसे हवा में यह तन
प्राण ऊर्जा जो इस देह को चलाती है
श्वास के माध्यम से भी भीतर आती है
शक्ति से भरती है
भोजन को पचाती
रक्त को गति देती है
देह टिकी है जिस पर
पर आज एक विषाणु ने रोक दिया है
उसका निर्बाध विचरण
फिर भी याद रहे
ऊर्जा शाश्वत है विषाणु नश्वर
उसे हराया जा सकता है
भय को त्याग कर
स्वयं को सशक्त बनाया जा सकता है
एक न एक दिन मानवता उससे मुक्ति पा ही लेगी
उस दिन फिर से गूंजेगी स्कूलों में बच्चों की आवाजें
और उनके गीतों से फिजा महकेगी !
विचारणीय है आपकी यह रचना और समाहित संदेश।।।।।
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
हटाएंऊर्जा शाश्वत है विषाणु नश्वर
जवाब देंहटाएंउसे हराया जा सकता है
भय को त्याग कर
स्वयं को सशक्त बनाया जा सकता है
एक न एक दिन मानवता उससे मुक्ति पा ही लेगी
उस दिन फिर से गूंजेगी स्कूलों में बच्चों की आवाजें
और उनके गीतों से फिजा महकेगी ! ..सकारात्मकता का सुंदर संदेश देती जीवन,ऊर्जा का संचार करती उत्कृष्ट रचना । आदरणीय अनीता जी, आपको हार्दिक शुभकामनाएं ।
स्वागत व आभार जिज्ञासा जी !
हटाएंसुंदर भावाभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
हटाएंबहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ! रात बहुत अँधेरी है पर सुबह का होना निश्चित है !
जवाब देंहटाएंअवश्य ऐसा ही होगा । अति सुन्दर भाव ।
जवाब देंहटाएंएक न एक दिन मानवता उससे मुक्ति पा ही लेगी
जवाब देंहटाएंउस दिन फिर से गूंजेगी स्कूलों में बच्चों की आवाजें
और उनके गीतों से फिजा महकेगी !
ऐसा ही हो.. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
गगन जी, अमृता जी व अनुराधा जी आप सभी का स्वागत व आभार !
जवाब देंहटाएंजी आपने बिल्कुल सही कहा :
जवाब देंहटाएं"ऊर्जा शाश्वत है विषाणु नश्वर"
हमसब मिलकर इसको जरूर हरा देंगे। आपने बहुत बेहतरीन लिखा है....हौसला बढाती रचना।