गुरुवार, अप्रैल 28

खिले रहें उपवन के उपवन

खिले रहें उपवन के उपवन


रिमझिम वर्षा कू कू कोकिल
मंद पवन सुगंध से बोझिल,
हरे भरे लहराते पादप
फिर क्यों गम से जलता है दिल !

नजर नहीं आता यह आलम
या फिर चितवन ही धूमिल है,
मुस्काने की आदत खोयी
आँसू ही अपना हासिल है !

अहम् फेंकता कितने पासे
खुद ही उनमें उलझा-पुलझा,
कोशिश करता उठ आने की
बंधन स्वयं बाँधा न सुलझा !

बोला करे कोकिला निशदिन
हम तो अपना राग अलापें,
खिले रहें उपवन के उपवन
माथे पर त्योरियां चढ़ा लें !

आखिर हम भी तो कुछ जग में
ऐसे कैसे हार मान लें,
लाख खिलाये जीवन ठोकर
क्यों इसको करतार जान लें !

गुरुवार, अप्रैल 21

अर्थवान मन

अर्थवान मन

समेट ले सारे ब्रह्मांड को अपने भीतर
या ‘न कुछ’ हो जाये
मन तभी अर्थवान होता है
वरना तो बस परेशान होता है
कभी इस बात से चिढ़ता कभी
उस बात से हैरान होता है
कल्पनाशील है सो दुःस्वप्न जगाता है
चिंता के झाड़ खड़े कर इर्दगिर्द
स्वयं को उनसे घिरा पाता है
लड़ता कभी औरों को लड़वाता है
जो बन सकता था फुहार शांति की
तपकर खाक हुआ जाता है
प्रीत का जो झरना भीतर कैद है
बनकर चट्टान उसके मुहाने पर बैठ जाता है
जुड़ा ही था जो अस्तित्त्व से सदा
उसे तोड़कर स्वयं को ही घायल बनाता है
कौन समझाये उसे जो ज्ञान की खान है खुद ही
पर नजरें सदा औरों पर गड़ाता है
सिमट आये अनंत जिसके आंचल में
वह एक कतरे के लिए आँसू बहाता है ! 

सोमवार, अप्रैल 11

सत्य

सत्य 


सत्य समान नहीं कोई पावन
सत्य आश्रय मन अपावन,
नदियाँ ज्यों दौड़ें सागर में
सत्य साध्य है सत्य ही साधन !

जो सत्य है वह सहज है
जो सहज है वह पूर्ण है
जो पूर्ण है वह तृप्त है
मन खो जाता है उस तृप्ति का अहसास पाकर
वहाँ केवल होना है
कोई चाह नहीं,
इसलिए उसे पूर्ण करने की त्वरा भी नहीं
कृत्य नहीं..वहाँ मौन है
पर उस मौन से मधु रिसता है
सत्य का वह द्वार भीतर जाकर ही मिलता है
ज्यों शाखों से फूल झरें सहज ही 
वहाँ से कृत्य भी उतरता है !  

मंगलवार, अप्रैल 5

प्रकाश की एक धारा


प्रकाश की एक धारा

प्रकाश की एक धारा
अनवरत साथ बहती है
भले नजर न आये सरस्वती सी
गहराई की थाह नहीं जिसकी
और शीतल इतनी कि गोद में उसकी
अग्नि भी विश्राम पाती है !
उठती लहरें अन्तरिक्ष तक ऊंची
छलक जातीं बूंदें जहाँ-जहाँ
बन जाती वह भूमि यज्ञ शाला
आचमन करने वाला उर
तृप्त हो जाता
उसके सिवा कुछ भी जिसे
 छू भी नहीं पाता
पावन वह धारा
अजस्र भीतर रहती है !
प्रकाश की एक धारा
अनवरत साथ बहती है !