वायनाड की एक छोटी सी यात्रा
वायनाड का नाम पहले सुना ज़रूर था पर वर्षों पूर्व की गयी केरल प्रदेश की हमारी यात्रा के दौरान वहाँ जाना नहीं हो पाया था। बारह अगस्त की सुबह, छह बजे से कुछ पल पहले हम चार लोगों का समूह (हम दोनों व पुत्र-पुत्रवधू) कार द्वारा बैंगलुरु से वायनाड की छोटी सी यात्रा के लिए रवाना हुआ। हरियाली से युक्त मार्ग में हम दो जगह रुके, पहली बार वाहन में ईंधन भरवाने व साथ लाया नाश्ता खाने और दूसरी बार ड्रोन से पर्वतों और घाटियों की तस्वीरें उतारने। एक यादगार और रोमांचक सफ़र के रास्ते में जंगल को बेहद नज़दीक से देखने का अवसर मिला। कुछ अत्यंत पुराने विशाल वृक्ष देखे, जिनकी जड़ें दूर-दूर तक फैल गई थीं। झींगुरों का गान सुना और पक्षियों का कलरव भी, यहाँ तक कि सड़क किनारे तक आ गये हिरण और बाइसन के दर्शन भी हो गये । लगभग छह घंटों में हम मज़े-मज़े से मंज़िल पर पहुँच गये।
दोपहर के भोजन में केरल के स्वादिष्ट पारंपरिक खाद्य पदार्थों को परोसा गया था। अप्पम और केरल परोठा के साथ विशेष मसालों में बनी सब्ज़ियाँ और मिष्ठान में पायसम ! कुछ देर विश्राम करने के बाद हम पुन: शीतल हवा का आनंद लेने के लिए तीसरी मंज़िल पर स्थित विशाल बालकनी में पहुँच गये । जहां से दूर तक फैली झील का मनोरम दृश्य आनंद का एक अप्रतिम स्रोत है। शाम की चाय से पूर्व हमने क्रिकेट और बाद में बिलियर्ड व कैरम आदि खेलने का आनंद लिया।पहली बार छोटी सी जिप लाइन पर साइकिल चलाने का रोमांचकारी अनुभव भी हमारे हिस्से में आया। देर शाम को कमरे में लौटे तो चादर पर फूलों से हैप्पी बर्थडे लिखे हुए मिला, साथ ही केक, फल आदि सजा कर रखे हुए थे । हमने मिलकर पतिदेव का जन्मदिन मनाया, जिसके लिए इस लघु यात्रा का आयोजन किया गया था।