बुधवार, नवंबर 27

उसकी यात्रा

उसकी यात्रा



फिर लौट आया है मन  
बियाबान जंगलों में बसे गाँव में
जहाँ आबादी के नाम पर
विचारों के झुंड हैं
ऊंचे दरख्तों को चूमते
पर्वतों पर चढ़ते
 आस-पास को छूते हुए चलते
कुछ हसीन विचार.. कुछ गमगीन विचार भी
जहाँ प्रातः होते ही सूर्य उगता है
 देख सकता है मन
सात तालों से बंद कमरे में भी
सूरज की लालिमा
बादलों के बदलते रंग
 जहाँ रोज रात को चाँद निकलता है
 झरनों, नदियों, नालों पर किरणों की अठखेलियाँ
देख सकता है
रेड स्क्वायर के चारों ओर लिपटी धूप में
पंछियों को भी
सोचें जितनी हसीन होती हैं
जीना उतना ही आसान
आस-पास की कड़वाहट
छू भी नहीं पाती
जब मन मीठे दरिया के समीप होता है
कभी घनी अँधेरी गुफा में भटकता
 कभी सीमा पार कर जाता
कभी किसी गहरे समुंदर को पार करता
 कभी दूर आकाश से उतरते
पैराशूट के सहारे
हिचकोले खाता
 कभी नक्सलवादी बन न्याय मांगता
आतंक जगाता मन !

सोमवार, नवंबर 25

मनु की सन्तान को


मनु की सन्तान को


मन की झील में
आत्मकमल खिलाना है
 आदतों व संस्कारों की मिट्टी है जहाँ
वहीं से भेध कर
सुवास को जगाना है
किन्हीं रंगों को सजाना है
 छिपा है एक स्रोत मधुर
अतल गहराई में
माना होंगी चट्टानें भी मध्य में
कठिन होगी यात्रा
पर जो अपना ही है सदा से
वह सरसिज तो बाहर लाना है
अंतस की झील में जलज बसाना है 

शुक्रवार, नवंबर 22

चलो, कुछ करें

चलो, कुछ करें 


चलो उठ खड़े हों, झाड़ें सिलवटों को
मन के कैनवास को फैला लें क्षितिज तक
प्यार के रंगों से फिर कोई खूबसूरत सोच रंग डालें
बांटे आपस में हर शै जो अपनी हो
चलो आँखें बंद करें, गहरे उतर जाएँ
जानें पर्त दर पर्त अंतर्मन को
आत्मशक्तियाँ जागृत होकर एक हो जाएँ
अपना छोटे से छोटा सुख भी साझा हो जाये
चलो कह दें, सुना दें मन की हर उलझन
समझ लें, गिन लें दिल की हर धडकन
अपना सब कुछ सौंप कर निश्चिंत हो जाएँ
विश्वास का अमृत पियें
चलो करीब आयें, जश्न मनाएं
मैं और तुम से ‘हम’ होने की याद में
कोई गीत गुनगुनाएं
खुली आँखों से सपने देखें
मौसम की मस्ती में डूबे उतरायें !

बुधवार, नवंबर 20

आस्ट्रेलिया-आस्ट्रेलिया

आस्ट्रेलिया-आस्ट्रेलिया

अंतिम भाग -
एक दिन स्थानीय दर्शनीय स्थलों को देखने के बाद शेष दो दिन कटुम्बा तथा कियामा नामक स्थान देखने गये. ब्लू माउंटेन नाम से प्रसिद्ध पर्वतों की श्रृंखला सिडनी के पश्चिम में ५० किमी तक फैली हुई है. सेन्ट्रल स्टेशन से कटुम्बा के लिए ट्रेन लेकर हम यहाँ गये. पहला पड़ाव था, three sisters, जो तीन चट्टानों से बनी एक सुंदर प्राकृतिक आकृति है. ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासी aborginal की कहानी के अनुसार तीन सुंदर बहनें meehni, wimlah और gunnedoo कटुम्बा जाति की वासी थीं जो जेमिसन घाटी में रहती थीं, वे नेपियन जाति के तीन युवकों से प्रेम करने लगीं, मगर नियम के अनुसार भिन्न जातियों में विवाह सम्बन्ध नामुमकिन था. युवकों ने उनका अपहरण करने का निश्चय किया, युद्ध हुआ. एक वृद्ध व्यक्ति ने उन बहनों को उनकी रक्षा हेतु कुछ काल के लिए पत्थर का बना दिया, पर वह युद्ध में मारा गया, दूसरे किसी को यह विद्या आती नहीं थी कि उन्हें पुनः मानव बनाया जाये, सो वे आज तक वैसे ही खड़ी हैं. आज तक कोई राम नहीं मिला जो उन्हें मानवी बना दे. आगे जाकर हम ट्राली की रोमांचक यात्रा कर एक पर्वत से दूसरे पर्वत तक पहुंचे, जहाँ सुंदर भ्रमण पथ बने थे, कुछ देर घूमने के बाद रेल द्वारा हम पुनः उसी पर्वत पर लौट आये, नीले पर्वतों की यह यात्रा एक सुखद स्मृति बन कर दिलों में अंकित हो गयी.



सिडनी के दक्षिण में स्थित कियामा NSW का एक सुंदर शहर है. यहाँ सर्फिंग बीच हैं, पार्क हैं, कैफे हाउस हैं. यहाँ का मुख्य आकर्षण है blowhole. कियामा लाइट हाउस भी इस ब्लोहोल के निकट है. हम ट्रेन से तीन घंटों की लम्बी यात्रा करके यहाँ पहुंचे तो शीतल हवा बहुत तेजी से  बह रही थी, वर्षा भी होने लगी तो हमने एक गिफ्ट शॉप में आश्रय लिया.कुछ देर बाद जब वर्षा थमी तो हम सागर तट पर गये. अचानक पानी का एक विशाल फौवारा सागर से उठता दिखाई दिया, बहुत अनोखा दृश्य था, जिसे देखने अनेकों यात्री वहाँ आये थे. सम्भवतः यहाँ ज्वालामुखी रहे होंगे, अब भी जब चट्टानों में बने छिद्र में गैस का दबाव बढ़ जाता है तो पानी बहुत दबाव के साथ फूट पड़ता है.



सिडनी में कई प्रसिद्ध तट हैं, अगले दिन हम बोंडी बीच देखने गये, सैकड़ों लोग तट पर धूप सेंक रहे थे, कुछ तैर रहे थे कुछ सर्फिंग कर रहे थे, जैसे एक मेला सा लगा हुआ था. किनारे पर पैदल चलने के लिए पथ बना था. कुछ अन्य तट भी हमने देखे. आस्ट्रेलिया की सुन्दरता और भव्यता की सुखद स्मृतियाँ ह्रदय में समेटे हम वापस लौटे.  

सोमवार, नवंबर 18

आस्ट्रेलिया-आस्ट्रेलिया

आस्ट्रेलिया-आस्ट्रेलिया


गतांक से आगे- 
तीसरे दिन हमने सुबह जल्दी ही Great Ocean Road की यात्रा के लिए प्रस्थान किया जो मेलबोर्न से तीन घंटे की दूरी पर आरम्भ होनी थी. ‘ग्रेट ओशन रोड’ का निर्माण प्रथम विश्व युद्ध में मृत हुए सनिकों की याद में करवाया गया था. इसका एक कारण उन सैनिकों को रोजगार देना भी था जो युद्ध से वापस आए थे. १९१८ में इस सडक का निर्माण आरम्भ हुआ और चौदह वर्षों में सड़क बनकर तैयार हुई. विक्टोरिया राज्य के दक्षिण-पश्चिम में स्थित २४३ किमी लम्बी यह सड़क दुनिया की सुन्दरतम सागर तटीय सडकों में से एक है. कभी यह ऊँची पहाड़ियों पर चढ़ जाती है कभी नीचे सागर तट के बिलकुल निकट से गुजरती हुई सी निकलती है, 


आकाश पर हल्के बादल थे, जब हमने शेष यात्रियों के साथ बस में टूर आरम्भ किया. आज के हमारे ड्राइवर कम गाइड का नाम हेनिंग्स था, वह पूर्व में बायोलोजिस्ट रह चका था, पौधों के बारे में उसे बहुत जानकारी थी. बहुत उत्साह से वह यात्रियों को टूर के बारे में बताता जा रहा था, इतना लम्बा समय कैसे बीत गया किसी को पता ही नहीं चला. मार्ग में हम एक पक्षी विहार में रुके, रंग-बिरंगे तोते, सफेद काकातुआ, तथा अन्य कई पक्षी यात्रियों के कंधों और हाथों पर बैठ कर पोज दे रहे थे, मानो वे वृक्षों पर बैठे हों. ‘साही’ जैसा एक जन्तु भी देखा जो चीटियों का भोजन करता है. इसके बाद हम एक रेन फ़ॉरेस्ट में भ्रमण के लिए गये, जहाँ हजारों वर्ष पुराने वृक्ष भी मौजूद थे.

हमारा अगला पड़ाव था, सागर में चट्टानों द्वारा बने हुए Twelve Apostles की आकृतियाँ, जो पोर्ट कैंप बेल नेशनल पार्क में स्थित हैं. हवा बहुत तेज बह रही थी और अत्यंत ठंडी थी. दर्शकों के लिए कई स्थान जगह–जगह बनाये गये थे, जहाँ से सागर में प्रकृतिक रूप से बनी चट्टानों को देखा जा सकता है, लाखों वर्षों से मौसम की मार तथा लहरों का आघात सहकर यह आकृतियाँ बनी हैं. लंदन ब्रिज नाम से प्रसिद्ध एक आर्क भी हमने देखा जो १९९९ में टूट गया है.


मेलबोर्न से पुनः सिडनी आये तो हमारे पास तीन दिनों का समय था. Sidney Tower Eye सिडनी स्काई लाइन का एक प्रमुख हिस्सा है. ३०९ मीटर ऊंची यह इमारत, जो सिडनी की सबसे ऊँची इमारत है, अपनी वास्तुकला के कारण दूर से पहचानी जाती है. यहाँ हम ऑब्जरवेशन डेक पर गये जहाँ से ८० किलोमीटर दूर तक की इमारतें व स्थान देखे जा सकते हैं, यहाँ हमने एक लघु 4d फिल्म का भी आनन्द लिया. यहाँ से निकल कर घूमते-घूमते हम पहुंचे आस्ट्रेलिया का maritime museum देखने, डार्लिंग हार्बर के किनारे यहाँ पुराने से लेकर नये पोतकों की लम्बी कतार है. यहाँ एक सब मैरिन भी थी. डार्लिंग हार्बर का नाम  NSW के गवर्नर (१८२५-१८३१) राल्फ डार्लिंग के नाम पर रखा गया है. यहाँ अनेकों रेस्तरां हैं तथा सिडनी एक्वेरियम तथा wild life भी है. इसके बाद हम सिडनी wild life तथा sea life देखने गये. जहाँ अनोखे जन्तुओं और पानी में रहने वाले आश्चर्य जनक जन्तुओं जैसे सी,. शार्क, स्टार फिश, आक्टोपस आदि को देख कर हम चकित रह गये. इसी के पास ही madam Tussaud wax museum स्थित था जहाँ हमने विश्व प्रसिद्ध नेताओं, खिलाडियों, अभिनेताओं के साथ चित्र खिंचवाए.


शनिवार, नवंबर 16

आस्ट्रेलिया-आस्ट्रेलिया

आस्ट्रेलिया-आस्ट्रेलिया

गतांक से आगे -


अगले दिन हम स्थानीय समुद्र तट देखने गये, पानी इतना साफ था कि तल स्पष्ट दिखाई दे रहा था, नीले आकाश की छाया उसमें पड़ रही थी. दूर तक नजर डालने पर कहीं नीला और कहीं हरा समुन्दर. दिखाई देता... जैसे सूरज से रंगों की बरसात हो रही हो. घुमावदार श्वेत लहरें जब पूरे उल्लास के साथ तट से टकराकर लौटतीं तो हमारे पैरों के नीचे से रेत खिसकती मालूम होती, भारहीनता का सा अनुभव होता. ठंडे पानी में कदम रखने पर पहले-पहल सिहरन प्रतीत हुई पर ऊपर धूप खिली थी, कुछ देर लहरों का आनन्द लेने के बाद हम घर आये, शाम के धुंधलके में पुनः ओपेरा हाउस के कुछ चित्र लिए, प्रकाश में जगमगाती यह इमारत अब कुछ और ही प्रतीत हो रही थी. फेरी में बैठकर हमने डेक पर बैठकर ठंडी हवा का आनन्द लेते हुए ‘मैनली’ तक की यात्रा की, जो सिडनी के उत्तर में स्थित एक सुंदर तटीय स्थान है.


दुसरे दिन सुबह-सुबह ही हम ऑस्ट्रेलिया की घरेलू उड़ान ‘वर्जिन आस्ट्रेलिया’ से विक्टोरिया राज्य की राजधानी मेलबोर्न की यात्रा पर निकले. पहले दिन पथ भ्रमण कर हमने कुछ प्रमुख स्थान जैसे घंटाघर, मेलबोर्न म्यूजियम आदि देखे. एक जगह बग्घी और घोड़ा देखकर कलकत्ता का विक्टोरिया मैदान याद हो आया. साफ-सुथरी सडकें और दोनों ओर लगे लॉन औए पेड़, आधुनिक और प्राचीन, विशाल भव्य इमारतें निरंतर हमारा ध्यान आकर्षित कर रही थीं. पद यात्रियों के लिए हर जगह चौड़े फुटपाथ बने हैं तथा सड़क पार करने के लिए स्थान-स्थान पर विशेष पथ बनाये गये हैं. पद यात्रियों का यहाँ  बहुत ध्यान रखा जाता है. मेलबोर्न प्रदर्शनी हाल के बाहर स्पोर्ट्स कारों की एक विशाल प्रदर्शनी भी हमने देखी. मेलबोर्न म्यूजियम में आस्ट्रेलिया के विचित्र व विशाल जन्तु संसार से हमारा परिचय हुआ.


अगले दिन सुबह हम ‘फिलिप आइलैंड’ के टूर पर रवाना हुए, जो मेलबोर्न से डेढ़ घंटे की दूरी पर है. विश्व प्रसिद्ध ‘पेंगुइन परेड’ इसका प्रमुख आकर्षण था. wild life tour की चौबीस सीटों वाली आरामदेह बस में सुबह होटल से हम रवाना हुए. हमारी बस का ड्राइवर कम टूर गॉइड बहुत जानकार और उत्साही व्यक्ति था. दूर-दूर मीलों तक फैले हरे-भरे चारागाह और उनमें घास चरती हुईं काली गायों के झुंड, कहीं-कहीं भेड़ों के रेवड़ और कहीं दूर तक फैला सन्नाटा... मेलबोर्न के गावों से गुजरते हुए ये दृश्य मन-पटल पर अंकित हो गये से लगते हैं. आस्ट्रेलिया में पाए जाने वाले कंगारू तथा कोआला, प्राकृतिक वन्य प्राणी, सुंदर तट पर स्थित पंछियों का निवास- ‘सीगल कालोनी’ सभी दर्शनीय थे. इस कालोनी में हमने एक पहाड़ी पर हजारों पंछियों को घोसलों में बैठे देखा, कुछ में अंडे थे, कुछ में चूजे, कुछ में बच्चे जिन्हें उनके माता-पिता भोजन खिला रहे थे, अद्भुत नजारा था.

मार्ग में एक सुंदर शहर आया कोवेस जिसकी साफ-सुथरी सडकें तथा दुकानें, हरे-भरे लॉन तथा फूलों की क्यारियां दर्शनीय थीं. फिलिप आइलैंड में प्रवेश से पहले गाइड हमें एक चाकलेट फैक्ट्री में ले गया, जहाँ १४० तरह की हाथ से बनी चाकलेट्स मिलती हैं. जहाँ कुछ देर रुककर बेहद स्वादिष्ट चाकलेट्स का आनन्द लिया. मुख्य द्वार पर चाकलेट से बना एक सुंदर दृश्य था, जिसमें रेत, जानवर, पेड़ सभी चाकलेट से बने थे. जैसे-जैसे संध्या बढ़ती गयी लोग समुद्र तट पर बनी सीढ़ियों पर बैठ गये, मौसम ठंडा था, तेज हवा की साथ हल्की बूंदें भी बरसने लगीं. हमने वहीं की गिफ्ट शाप से ठंड से बचने के लिए शालें खरीदीं और बरसात से बचने के लिए प्लास्टिक के ओवरआल भी. सभी यात्रियों की आतुर नजरें सामने समुद्र तट पर थीं जिनकी लहरें कृत्रिम प्रकाश में चमक रही थीं, गाइड ने बताया था की एक दिन पूर्व ५०० पेंगुइन आये थे, जो चार-पांच दिन अपने घरों में रहने के बाद पुनः कुछ दिनों के लिए पानी में चले जायेंगे. तभी अचानक पानी की लहरों को चीरते पेंगुइन का एक छोटा सा समूह नजर आया जो धीरे धीरे तट की ओर बढ़ रहा था. लोगों में खुशी की एक लहर दौड़ गयी, फिर कुछ देर बाद दूसरा समूह, विशिष्ट चाल से उनका बढ़ना और धीरे-धीरे तट पर आकर घास में बने घोसलों में चुपचाप चले जाते हुए देखना एक अद्भुत अनुभव था.


गुरुवार, नवंबर 14

बाल मजदूर

आज भी देश के कई हिस्सों में बच्चे अभिशप्त हैं खतरनाक रोजगार में काम करने के लिए, बाल दिवस पर जहाँ सक्षम बच्चे खुशियाँ मना रहे हैं, उन के लिए इस दिन का कोई महत्व नहीं है.

बाल मजदूर



वह बूढ़े होते इंसान की तरह भयभीत है
नहीं जाना तितलियों के पीछे भागना
रूठना, मचलना याद नहीं
याद हैं वे दंश, वे तीखे अनुभव
जिनकी मार सही है रोज हर रोज
जब नैतिकता शरमायी होगी
चीखा होगा बचपन
 रोया होगा फूल कोई
पंछी भी चुपचाप उड़ गया होगा
पर न देखा माँ की ममता ने
बाप के साये ने
वह पल जिसमें किसी की मृत्यु हुई थी
जगत चलता रहा अलग-थलग
घिसटता रहा कोई अपनी ही ऊँगली थामे
चल पड़ा एकाकी सूनी राह पर
ठोकर खायी
नहीं देखा किसी ने, न पूछा कुछ
वह बूढ़ा हो गया असमय
दुनिया वंचित रही एक यौवन से
बिखरे मोतियों को न जोड़ा किसी ने
न बनाया हार, न पहना गले में !

बुधवार, नवंबर 13

आस्ट्रेलिया-आस्ट्रेलिया

आस्ट्रेलिया-आस्ट्रेलिया


विश्व के मानचित्र पर दक्षिणी गोलार्ध में स्थित एक अनोखा देश ऑस्ट्रेलिया, जो एक द्वीप तो है ही, महाद्वीप का भी सम्मान इसे प्राप्त है ! सदियों से न जाने कितने यात्रियों को यह विशाल प्राकृतिक बन्दरगाह अपने सौन्दर्य से आकर्षित करता रहा है. सागर किनारे बसे इसके सुंदर आधुनिकतम शहरों में मोहक समुद्र तट, म्यूजियम और राष्ट्रीय जन्तु उद्यानों के रूप में न जाने कितने दर्शनीय स्थल हैं जिन्हें देखने लोगों की एक कतार अनवरत आती रहती है. हमें भी पिछले माह इसके दो शहरों सिडनीमेलबोर्न की यात्रा का सुअवसर मिला. आस्ट्रेलिया के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित राज्य New South Wales का शहर सिडनी जो इस राज्य की राजधानी भी है, आस्ट्रेलिया की पहली ब्रिटिश कालोनी थी जो १७८८ में फिलिप आर्थर द्वारा बसायी गयी. यहाँ की आबादी मात्र ४५ लाख है और हर वर्ष १० मिलियन पर्यटक यहाँ आते हैं.


इक्कीस अक्तूबर को दोपहर दो बजे दिल्ली के हवाई अड्डे से हम एयर इंडिया के ड्रीम लाइनर से सिडनी के लिए रवाना हुए. आरामदेह यात्रा में फिल्मों और स्वादिष्ट भोजन का आनन्द लेते हुए जब विमान सिडनी पहुंचा तो भारतीय समय के अनुसार रात्रि के दो बजे थे, किन्तु आस्ट्रेलिया में अगले दिन सुबह के साढ़े सात बजे थे, हमें नींद का अहसास हो रहा था, जीजाजी हमें लेने आये थे, घर में दीदी व उनकी बेटी प्रतीक्षारत थे. घर बहुत बड़ा था, और उसकी दो दीवारें शीशे की थीं. छठी मंजिल पर स्थित उस घर से जो सिडनी के सबर्ब में स्थित ‘राकडेल’ नामक इलाके में था, हवाई अड्डा दिखाई दे रहा था. भोजन कर कुछ देर आराम करने के बाद सिडनी की रेल यात्रा का आनन्द लेते हुए हम हार्बर ब्रिज व विश्व प्रसिद्ध ओपेरा हाउस देखने गये, जो आस्ट्रेलिया की पहचान बन चुका है तथा जिसे आज तक न जाने कितनी फिल्मों में देखा था. मौसम बादलों भरा था, हल्की हवा बह रही थी, ओपेरा हाउस की सीढ़ियों की ओर जब हम बढ़े तो नीली पोशाक पहने स्कूली छात्राओं को कतार बद्ध आते देख ठिठक गये, उनके मुस्कुराते गुलाबी चेहरे और पीछे भव्य इमारत.. एक सुंदर दृश्य को उपस्थित कर रहे थे. गुलाबी चोंच व लाल पैरों वाले सफेद सीगल चारों ओर उड़ान भर रहे थे. आस्ट्रेलिया प्रवास के दौरान पूरे समय ये पक्षी हमें नजर आते रहे ये मनुष्यों से जरा भी भयभीत नहीं होते. जैसे उन्हें कोई भाव ही न देते हों. 


ओपेरा हाउस का आकार अनोखा है, नावों पर लगी पतवार के आकार का अथवा तो कमल की पंखुड़ी के आकार का, इसकी वास्तुकला का निर्माण किया था डेनिश आर्किटेक्ट jorn utzon ने, यहाँ थियेटर, नृत्य तथा संगीत के लगभग ढाई हजार समारोहों का आयोजन एक वर्ष में होता है. इसके निर्माण में चौदह वर्ष लगे तथा आरम्भ में मात्र ७ मिलियन का बजट था, अंततः १०२ मिलियन डालर का खर्च हुआ. अनुमान से कहीं ज्यादा खर्च के कारण jorn utzon ने बीच में ही प्रोजेक्ट से इस्तीफा दे दिया और इसके पूर्ण होने पर भी देखने नहीं आ पाए. हार्बर ब्रिज भी अपनी तरह का अनोखा पुल है, लोहे का बना यह विशाल पुल सिल्वर रंग से रंगा है, इसे रंगने में एक बार में ८८ हजार लीटर रंग लगता है. दुनिया का सबसे चौड़ा यह पुल ५२,८०० टन लोहे से बना है.


क्रमशः

सोमवार, नवंबर 11

कोई

कोई

हर प्रातः सूर्य किरणों पर चढ़
पुहुपों के अंतर को छूकर
ओस कणों से ले नरमी
खग पाखों से ले गरमी
 कोई वसुंधरा पर उतरे !

हर साँझ रंग आंचल में भर
वृक्षों की फुनगी पर जाकर
रिमझिम फुहार से ले नमी
सतरंगी आभा पा थमी  
कोई नजर नयन में कांपे !

हर रात्रि चाँदनी वसन ओढ़
जुगनू की नीली छवि छूकर
संध्या तारे से ले चमक
ढलते सूरज से ले दमक
कोई दूर क्षितिज से झांके !

अंतर ऊष्मा से स्पन्दित हो
 पर दुःख से द्रवीभूत कातर
ले उच्छ्वासों से असीम वेग
 श्वासों से ऊर्जित संवेग
कोई कवि कंठ बन गाए !



  


गुरुवार, नवंबर 7

कविता-जीवन-गीत

कविता

एक सी होती है
हर कविता की आत्मा
आदर्शों को पा लेने की चाह
और न पा सकने की विवशता
पर उम्मीद से भरी उसकी आँखें
नहीं थकतीं... तो नहीं ही थकतीं !

जीवन

मन के एक अँधेरे सूने
गह्वर के तल में
घनी गुल्म लताओं के घेरे के पीछे
किसी एकांत कोने में
 कभी अचानक.. विधु की आभा
 एक पल के लिए
जगती तल पर स्थित कोई
फूल हो जैसे !

गीत

न सुलाए मोद में जो
गीत वह जो प्राण भर दे,
युग-युगों से सुप्त उर में
भीषण हुँकार भर दे !

भीरु कातर इस नगर में
 शक्ति का संचार कर दे,
 इस धरा से उस गगन तक
दस दिशा गुंजार कर दे !

दूर कर दे भय, निराशा
 मोह का संहार कर दे,
 चीर डाले जो अँधेरा
 रौशनी हर द्वार भर दे !


बुधवार, नवंबर 6

कण-कण सृष्टि का यह गाता



कण-कण सृष्टि का यह गाता

कुछ यादें, कुछ बातें मनहर
याद दिलाये आज का पल हर
उच्च भाल पर तिलक सज रहा
नयनों में छाया वह मंजर !

‘भाई’ शब्द में घुली मिठास
हर पल बहना को है आस,
सदा सुखी हो संग भाभी के
बढ़ा करे श्रद्धा-विश्वास !

एक वाटिका के पुष्प हैं
संग-संग झेले ऋतु आघात,
संग-संग पायी ममता प्रीति
साझे थे कितने प्रभात !

बिन बोले संवाद है घटता
बचपन के साथी जो ठहरे,
जीवन क्रम में भले दूर हों
सूत्र बंधे हैं भीतर गहरे !

शुभ दिन दीपपर्व का अंतिम
इक संदेश बांटता जाता,
ज्योति प्रेम की कभी बुझे न

कण-कण सृष्टि का यह गाता !  

मंगलवार, नवंबर 5

भाई दूज पर शुभ स्नेह सहित

भाई दूज पर शुभ स्नेह सहित



कुछ यादें, कुछ बातें मनहर
याद दिलाये आज का पल हर
उच्च भाल पर तिलक सज रहा
नयनों में छाया वह मंजर !

‘भाई’ शब्द में घुली मिठास
हर पल बहना को है आस,
सदा सुखी हो संग भाभी के
बढ़ा करे श्रद्धा-विश्वास !

एक वाटिका के पुष्प हैं
संग-संग झेले ऋतु आघात,
संग-संग पायी ममता प्रीति
साझे थे कितने प्रभात !

बिन बोले संवाद है घटता
बचपन के साथी जो ठहरे,
जीवन क्रम में भले दूर हों
सूत्र बंधे हैं भीतर गहरे !

शुभ दिन दीपपर्व का अंतिम
इक संदेश बांटता जाता,
ज्योति प्रेम की कभी बुझे न
कण-कण सृष्टि का यह गाता !