बुधवार, सितंबर 6

कृष्ण रंग में डूबा अंतर



कृष्ण रंग में डूबा अंतर 

श्याम रंग में भीगा अंतर
भीगी मन की धानी चूनर,
कोरा जिसको कर डाला था
विरह नीर में डुबो डुबोकर !

जन्मों से था जो सूखा सा
जैसे कोई मरुथल बंजर,
कैसे हरा-भरा खिलता है
कृष्ण रंग में डूबा अंतर !

एक डगर थी सूनी जिस पर
पनघट नजर नहीं आता था,
काँटों में उलझा था दामन
श्यामल रंग से न नाता था !

भर पिचकारी तन पे मारी
सप्त रंगी सी पड़ी फुहार,
 पोर-पोर शीतल हो झूमा
फगुनाई की बहती  बयार !

रंग दिया किस रंग में आज 
कान्हा रंग रसिया ह्रदय का,
राधा रंग गई, मीरा भी 
हुआ सुवासित कण-कण तन का !



18 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर ! आप को शुभ पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं

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  2. अति सुंदर रचना।
    जय श्री कृष्णा।
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    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार ८ सितंबर २०२३ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  3. श्याम रंग मे सरोबार लाजवाब सृजन
    वाह!!!

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  4. कृष्णभक्ति के विविध रंगों को बिखेरती मनभावन रचना। सादर।

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    1. सुंदर प्रतिक्रिया हेतु आभार मीना जी !

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  5. जय श्रीकृणा👏👏
    जन्माष्टमी पर बहुत सुंदर सार्थक रचना।

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