मन की नदी
श्वास और मौन के दो तटों के मध्य
बहती है मन की नदी...
जिसे लील जाता है कभी अगाध मरुथल
निगल जाता है कभी आसमान
जाने कितनी नदियाँ गुम हो गयीं
कुछ पल हँस कर फिर चुप हो गयीं
सुना है इस तट पर या उस तट पर
उतर जाता है कभी कोई राही
तो हजार राहें बिछ जाती हैं
उसके लिए फूलों भरी
कतारें लग जाती हैं.... रोशनियों की
झालरें झूमती हैं...
पर यह होता है कभी..कभी...
बहुत ही बढ़िया
जवाब देंहटाएंसादर
मन की गंगा को मिले, मंजिल कभी कभार ।
जवाब देंहटाएंजटाजूट में भटकती, हो मुश्किल से पार ।
हो मुश्किल से पार, करे कोशिशें भगीरथ ।
परोपकार सद्कर्म, जिन्दगी रविकर स्वारथ ।
स्वांस मौन के बीच, मचाये किस्मत दंगा ।
इसीलिए खो जाय, अधिकतर मन की गंगा ।।
अति सुंदर काव्यात्मक टिप्पणी...आभार रविकर जी !
हटाएंआपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 31/10/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंयशोदा जी, आभार !
हटाएंकाश! ये जो कभी-कभी है न हर पल का हो जाता ..
जवाब देंहटाएंसही है अमृता जी, पर तब उसका इतना महत्व भी नहीं रहता शायद...
हटाएंlekin ye kabhi kabhi hona hi sampoorn jeewan k liye sukhmay ho jata hai.
जवाब देंहटाएंश्वास और मौन के दो तटों के मध्य
जवाब देंहटाएंबहती है मन की नदी...
बहुत सुंदर बिम्ब ले कर काही है बात .... सुंदर प्रस्तुति
आपकी उम्दा पोस्ट बुधवार (31-10-12) को चर्चा मंच पर | जरूर पधारें | सूचनार्थ |
जवाब देंहटाएंप्रदीप जी, आभार !
हटाएंतो हजार राहें बिछ जाती हैं
जवाब देंहटाएंउसके लिए फूलों भरी
कतारें लग जाती हैं.... रोशनियों की
झालरें झूमती हैं...
पर यह होता है कभी..कभी...
-- कभी कभी - कैसा विरल संयोग !
वाकई प्रतिभा जी यह अति विरल संयोग है..
हटाएंबहुत सही ..
जवाब देंहटाएंहम इस नदी की शारा को मोड़ नहीं सकते?
जवाब देंहटाएंकितना सुन्दर लिखा है तो तटों के बिच मन....वाह अनीता जी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुतिकरण
जवाब देंहटाएंमन की नदिया बड़ी सुहानी
जवाब देंहटाएंश्वाँस सेतु पर आनी जानी
मौन नाव ,पतवार पुरानी
तट पहुँचे तो, बड़ी रवानी
मन की नदिया बड़ी सुहानी ||
अरुण जी, आपकी रसमयी टिप्पणी आनन्दित कर गयी..आभार!
हटाएंमन की नदिया बड़ी सुहानी ,
जवाब देंहटाएंबात ये भैया बड़ी पुरानी ,
दुनिया है ये आनी जानी ,
प्राणी मत करना नादानी .
करनी तेरी साथ है जानी,,
कह गए ऋषि मुनि और ग्यानी .
यशवंत जी, अनामिका जी, संगीता जी, संगीता पुरी जी, इमरान आप सभी का स्वागत व आभार !
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