जो भी राह दिखाने
आया
एक मुखौटा ओढ़ा सुंदर
चेहरे पर मुस्कान पहन ली,
दिल में चाहे आग सुलगती
शीतल सी पहचान ओढ़ ली !
हालचाल सब ठीकठाक है
जग को जब विश्वास दिलाया,
मदमाती जीवन की राह है
दिल ने खुद को भी समझाया !
जो भी राह दिखाने आया
उसको अपना दुश्मन माने,
छलता जो मन पहले जग को
खुद को ही बंधन में डाले !
मूल छिपा ही रहता भीतर
माया के पर्दे पर पर्दे,
स्वप्नों की इक आड़ खड़ी है
उम्मीदों के जाल बड़े !
बहुत सुन्दर शब्द रचना
जवाब देंहटाएंमूल छिपा ही रहता भीतर
जवाब देंहटाएंमाया के पर्दे पर पर्दे,
स्वप्नों की इक आड़ खड़ी है
उम्मीदों के जाल बड़े !
सुंदर प्रस्तुति।
सावन जी व ज्योति जी, स्वागत व आभार !
जवाब देंहटाएं