दीपावली और भाईदूज पर
हार्दिक शुभकामनायें
घर-बाहर निर्मल प्रकाश मय
दिप-दिप दीप जलें हर आँगन,
स्वच्छ चमकता हो हर कोना
भर जायें ख़ुशियाँ हर दामन !
द्वार सजा हो रंगोली से
दीपक जलते हों चौबारे,
दिवाली आयी लिए ख़ुशियाँ
जगमग करतीं हो दीवारें !
रहे धरा पर नहीं तमस अब
माँ लक्ष्मी का लगेगा फेरा,
जहां सरसता हो जीवन में
वहीं लगायेंगी वह डेरा !
जहाँ बँटे हर भाव ह्रदय का
शेष रहे जब शून्य कृपणता,
अनजाने नहीं पथ रह जायें
बिखरे प्रेम सुरभि के जैसा !
पर्व अनोखा ले आता फिर
भाईदूज- प्रीत का बंधन,
केसर, अक्षत, रोली टीका
या मस्तक पर महके चंदन !
जीवन पथ हो सदा प्रकाशित
यही कामना करता है उर,
आरोग्य का पाएँ वरदान
दूर रहे दुख अंधकार हर !
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