मंगलवार, अक्तूबर 24

विजयादशमी

विजयादशमी 

माँ को पूज कर राम ने

पाया विजय का वरदान, 

किया विनाश दशानन का 

मिला दुनिया में सम्मान !


राम तभी अवतार बने 

जिस पल निज शीश झुकाया, 

विधिपूर्वक करी प्रार्थना 

अहम् भाव पूर्ण मिटाया !


सीता से फिर हुआ मिलन 

दोनों के सब कष्ट मिटे, 

सेना में जय घोष उठा 

अंधकार के मेघ छँटे !


हम निज अल्प प्राप्ति पर भी 

गर्वित हों कब शोभा दे,   

माँ की शक्ति से ही सदा 

तन-मन का अस्तित्व रहे !


वही करावन हारा है 

उसी को सौंपें हर भार 

हल्के हो जगत में रहें 

यदि करना स्वयं उद्धार !



8 टिप्‍पणियां:

  1. शीश नमन कर के ही कुछ प्राप्त होता है ... विजयदशमी की बधाई ...

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  2. वही करावन हारा है
    उसी को सौंपें हर भार
    हल्के हो जगत में रहें
    यदि करना स्वयं उद्धार !

    बिलकुल सच लिखा है, सम्मान विनम्रता से ही मिलता है।अहंकार से पतन निश्चित है। बहुत बधाई disi।

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  3. शानदार कव‍िता...वाह... क्या आपको पता है क‍ि चर्चामंच क्यों अपडेअ नहीं हो रहा

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    1. स्वागत व आभार अलकनंदा जी ! जी, नहीं पता, शायद आयोजकों का यही निर्णय रहा हो

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