शुक्रवार, नवंबर 8

फूलों से नहीं दुआ-सलाम

फूलों से नहीं दुआ-सलाम

दुनिया दुख का दूसरा नाम 

कहते आये सुबह औ'शाम, 

देख न पाये उड़ते पंछी 

फूलों से नहीं दुआ-सलाम !


जान-जान कर कुछ कब आया

प्रेम लहर इक भिगो गयी उर, 

एक सफ़र पर सबको जाना 

मिटने से क्यों लगता है डर !


माना अभी-अभी आये हैं 

दूर अतीव  दूर जाना है, 

इक दिन तो मंज़िल आएगी 

गीत पूर्णता का गाना है !


एक बीज से वृक्ष पनपता 

एक अणु में नृलोक समाया, 

एक कोशिका से जन्मा नर 

तन में सारा ज्ञान छिपाया !


सत्य देखना जिस दिन सीखा 

शृंग हिमालय के उठ आये, 

मन के पार उगे हैं उपवन 

कुंज गली में श्याम समाये !


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