शनिवार, सितंबर 27

भरोसा

भरोसा 


कहीं विश्वास की कमी 

कहीं अंधविश्वास 

दोनों ही मंज़िल तक पहुँचने नहीं देते !


जिस पर विश्वास नहीं किया 

वह पीछे छूट जाता है

किया जिस पर अंधविश्वास 

वह काम नहीं आता है !


व्यक्ति खड़ा रह जाता है 

मँझदार में 

अब प्रतीक्षा के सिवा 

कोई उपाय नहीं !


यदि भरोसा पक्का होता 

तो वही बचा ले जा सकता था 

फिर अंधविश्वास की

 ज़रूरत ही नहीं पड़ती !


स्वयं के पुरुषार्थ पर अविश्वास 

और भाग्य पर अंधविश्वास 

यही तो लोग करते हैं ! 



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