सजगता
छुपे हुए हैं भेड़िये छद्म रूप में
जो रोकते हैं कदमों को
आगे बढ़ने से
नहीं काम आते मोह से बंधे जन
सहायक होता है कोई अन्य ही
अस्तित्त्व से भेजा हुआ
सजग रहना होगा हर पल
यदि चलते जाना है
अमृत पथ पर
कंटक रोक न लें
पाहन बाधा न बनें
‘आज’ फल है ‘कल’ का
‘आज’ ही ‘कल’ बनेगा
बह जायेगा हर कलुष
जब सजगता का
छल-छल जल बहेगा !
अमृतमय
जवाब देंहटाएं