राहे जिंदगी में
न तू है न मैं बस एक ख़ामोशी
है
इश्क की राह पर यह कैसा मोड़
आया
न ख्वाहिश मिलन की न विरह
का दंश
राहे जिंदगी में कैसा मुकाम
आया
एक ठहराव सा कोई सन्नाटा
पावन
सफर में यह अनोखा इंतजाम पाया
पत्ते-पत्ते पर लिखी है
कहानी जिसकी
हर श्वास पर उसी का अधिकार
पाया
आपकी इस पोस्ट को शनिवार, १३ जून, २०१५ की बुलेटिन - "अपना कहते मुझे हजारों में " में स्थान दिया गया है। कृपया बुलेटिन पर पधार कर अपनी टिप्पणी प्रदान करें। सादर....आभार और धन्यवाद। जय हो - मंगलमय हो - हर हर महादेव।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएं..आनंद दायक।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति, पढ़कर अच्छा लगा
जवाब देंहटाएंएक ठहराव सा कोई सन्नाटा पावन
जवाब देंहटाएंसफर में यह अनोखा इंतजाम पाया
...जीवन यात्रा का एक अनोखा मोड़...दिल को सुकून देती बहुत सुन्दर रचना...
पत्ते-पत्ते पर लिखी है कहानी जिसकी
जवाब देंहटाएंहर श्वास पर उसी का अधिकार पाया
एक सार्थक सोच और प्रस्तुति