तू है तो मैं हूँ
‘मैं’
हूँ तो ‘तुझे’ होना ही पड़ेगा
‘तू’
से ही ‘मैं’ का वंश चलेगा
तुझे
बिठाया हमने सातवें आसमान पर
अनगिनत
गुणों के रंग दिए भर
तू
जानीजान है कहते रहे यह भी
छिप-छिप
कर करते रहे जुर्म भी
एक
हाथ में आरती का थाल
और
मन में भरे कितना मलाल
ख़ुशी
के नाम पर दुःख बटोरते रहे
कभी
किस्मत कभी दुनिया को कोसते रहे
अब
जब कि यह राज खुला है
न
कोई गम न कोई गिला है
तू
ही हर सूं नजर आता है
दिल
झूम के यह गाता है
तू जो है तो मैं हूँ !
बहुत सुंदर भाव.
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार दिलबाग जी !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंतू और मैं का अंतर ही तो दुखों का कारण है...जिस दिन यह अंतर मिट जाएगा तो केवल तू ही सर्वत्र नज़र आएगा...बहुत सुन्दर और सटीक अभिव्यक्ति...
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