मंगलवार, जनवरी 23

सारा आकाश मिला है




सारा आकाश मिला है


शब्दों के पंख मिले हैं
सारा आकाश मिला है,
दिल में इक विरह अनोखा
रब में विश्वास मिला है !

पलकों में मोती पलते
नयनों में दीप संवरते,
अधरों पर गीत मिलन के
राहों में रहे बिखरते !

अंतर में अभिलाषा है
खिलने की शुभ आशा है,
बाहर आने को आतुर
बचकानी सी भाषा है ! 

7 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'बुधवार' २४ जनवरी २०१८ को लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

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  2. आशाओं और आत्मविश्वास से भरी सुन्दर रचना आदरणीय अनिता जी --- सस्नेह शुभकामनाएं मेरी --

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  3. आदरणीय अनीता जी----------------बार -- बार लिखने के बावजूद आपके ब्लॉग पर टिपण्णी दिखाई नहीं पढ़ती | बहुत अच्छी लगी आपकी रचना | सस्नेह शुभकामनायें |

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    1. रेणु जी, टिप्पणी प्रकाशित होने में थोड़ा वक्त लग सकता है, स्वागत है आपका..

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