मंगलवार, जनवरी 25

एक चेतना की डोरी से

एक चेतना की डोरी से 

 विजयगान गूँजे दुनिया में 

जय हिंद ! जय भारत न्यारा !

दिप-दिप दमक रहा गौरव से

महिमा मंडित भाल तुम्हारा !


युग-युग से करते आये हो 

संगम चिन्मय आदर्शों का, 

बहती आयी गंगा में नित 

ज्ञान, भक्ति व कर्म की धारा !


सदा सत्य के रहे पुजारी 

उपनिषदों का शुभ ज्ञान दिया, 

कोटि-कोटि जनों ने मिलकर 

सदा दिया उत्कर्ष का नारा ! 


एक चेतना की डोरी से 

बँधा हुआ हर भारत वासी, 

भिन्न बोलियाँ, भिन्न प्रांत हैं 

जुड़ा हुआ है भाग्य हमारा !


भारत माता की संतानें 

उसके हित कर्त्तव्य निभातीं, 

 दुश्मन आँख उठा भर देखे 

वीर सैनिकों ने ललकारा !



4 टिप्‍पणियां:

  1. एक चेतना की डोरी से

    बँधा हुआ हर भारत वासी,

    भिन्न बोलियाँ, भिन्न प्रांत हैं

    जुड़ा हुआ है भाग्य हमारा !

    सुंदर भाव भरी कृति ।आदरणीय दीदी आपको गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 👏🌹👏

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  2. देश प्रेम का भाव लिय उत्कृष्ट रचना ...
    जय भारती जय भारती ... स्वर्ग ने भी जिस तपोवन की उतारी आरती ...

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