सूर्य देव राशि बदलेंगे
संधिकाल आया ऋतुओं का
रुत शीत विदा लेने को है,
खेतों में सरसों फूलेगी
कुसुमाकर अब दूर नहीं है !
धरा घूमती निशदिन अनथक
सूर्य देव राशि बदलेंगे,
आम्र वाटिका महक उठेगी
तिल गुड़ के उपहार बँटेगे !
माना शीतल पवन अभी भी
हाड़ कँपाती हुई बहेगी,
किंतु आ रही आहट कोई
सूर्य रश्मियाँ यही कहेंगी !
खिचड़ी पोंगल की सुगंध से
महक उठेंगे सब घर आँगन,
रंग-बिरंगी कनकैया से
होगा सज्जित यह नीलगगन !
लोहरी की अग्नि ज्वाला में
मन से हर इक भेद मिटेगा,
मकर संक्रांति पर एक हुआ
भारत नई दिशा पकड़ेगा !
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार १४ जनवरी २०२२ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
बहुत बहुत आभार श्वेता जी!
हटाएंसंधिकाल आया ऋतुओं का
जवाब देंहटाएंरुत शीत विदा लेने को है,
खेतों में सरसों फूलेगी
कुसुमाकर अब दूर नहीं है !
अद्भुत..
सादर..
स्वागत व आभार यशोदा जी!
हटाएंबहुत सुंदर रचना । मकरसंक्रांति की शुभकामनाएँ ।
जवाब देंहटाएंमाना शीतल पवन अभी भी
जवाब देंहटाएंहाड़ कँपाती हुई बहेगी,
किंतु आ रही आहट कोई
सूर्य रश्मियाँ यही कहेंगी !
सुन्दर काव्य अभिव्यक्ति 🙏
वाह! उत्सवोंभरें दिनों की सतरंगी आभा पर खूब लिखा आपने अनीता जी। सच में इन दिनो का आनंद ही कुछ और है 👌 आपको मकर संक्रांति पर ढेरों शुभकामनाएं और बधाई🙏❤️❤️🌷🌷
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