परम अनूठा लोकतंत्र है
सदा सत्य की राह दिखाये
गीत शांति का नित गुंजाता ,
‘वसुधैव कुटुंबकम’ अपनाए
सबका नित कल्याण चाहता !
देश हमारा आगे बढ़कर
सुख-संपन्नता द्वार खोल दे,
हर आपद को बना चुनौती
यही सिखाये हँसकर सह लें !
साथ निभाता सब देशों का
परम अनूठा लोकतंत्र है,
आपद जब संसार झेलता
सभी मित्र हैं, मूलमन्त्र है !
दे संदेश तिरंगा लहरा
भारत की संस्कृति फैलाये,
राम-कृष्ण की पावन धरती
कण-कण इसका प्रीत सिखाये !
हर मन में आह्लाद उमंग
मिल स्वतन्त्रता दिवस मनाएं,
महिमामय भविष्य सम्मुख है
धैर्य से वर्तमान निभाएं !
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" मंगलवार 15 अगस्त 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार दिग्विजय जी!
हटाएंदेशप्रेम के भाव से सज्जित बहुत सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार जिज्ञासा जी!
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