जो है
जो है
जो है
उसे देख नहीं सकते
वह देखने वाला है !
जो दिखता है
वह है नहीं
क्योंकि वह
पल-पल बदल रहा है !
जो है
वह सदा है
पर अनजाना ही
रह जाता है !
जो नहीं है
उसी को पकड़ने में
मन ऊर्जा गँवाता है !
जीवन इसी विरोधाभास
का दूसरा नाम है !
जो है
उसी को कहते राम हैं
जिसमें ठहर कर
मन पाता विश्राम है !
अतीव सुंदर !
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार प्रियंका जी !
हटाएंये जो है/ नहीं का फेर है ना, यही भटकाता है.
जवाब देंहटाएंसंशय में डालता है. मन जहाँ विश्राम पाए वही सत्य है, वही राम है !
सही कहा है आपने, स्वागत व आभार मीना जी !
हटाएंबहुत अच्छी और सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
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