मंगलवार, मार्च 25

जो है


जो है 

जो है 

उसे देख नहीं सकते 

वह देखने वाला है !


जो दिखता है 

वह है नहीं 

क्योंकि वह 

पल-पल बदल रहा है !


जो है 

वह सदा है 

पर अनजाना ही 

रह जाता है !


जो नहीं है 

उसी को पकड़ने में 

मन ऊर्जा गँवाता है !


जीवन इसी विरोधाभास 

का दूसरा नाम है !


जो है 

उसी को कहते राम हैं 

जिसमें ठहर कर 

मन पाता विश्राम है !


6 टिप्‍पणियां:

  1. ये जो है/ नहीं का फेर है ना, यही भटकाता है.
    संशय में डालता है. मन जहाँ विश्राम पाए वही सत्य है, वही राम है !

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    1. सही कहा है आपने, स्वागत व आभार मीना जी !

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  2. बहुत अच्छी और सुंदर रचना

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