रविवार, मार्च 16

प, फ, ब, भ, म

प, फ, ब, भ, म


प-वर्ग में आकर बसते हैं 

सारे रिश्ते जो भाते हैं, 

परम परमात्मा, भगवान भी 

पंचम सुर में ही गाते हैं !


प औ’ म के मध्यांतर में इक 

रिश्तों का संसार बसा है, 

प से पिताजी और म से माँ 

इनसे ही परिवार बना है !


प से पत्नी, प्रियतम भी प से 

फ से फूफी-फूफा कहाते, 

ब बना बहना, बिटिया, बेटी 

भ भाई का भाभी भी भ से !


मामा-मामी, मौसा-मासी 

माँ सम  ममता सदा लुटाते, 

भ से भार्या, भगिनी भी भ से 

ब से बुआ व बहू बन जाते !


5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर रचना की आपने एक नया संसार बसाया प से परिवार में ..!

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में सोमवार 17 मार्च 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!

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