प, फ, ब, भ, म
प-वर्ग में आकर बसते हैं
सारे रिश्ते जो भाते हैं,
परम परमात्मा, भगवान भी
पंचम सुर में ही गाते हैं !
प औ’ म के मध्यांतर में इक
रिश्तों का संसार बसा है,
प से पिताजी और म से माँ
इनसे ही परिवार बना है !
प से पत्नी, प्रियतम भी प से
फ से फूफी-फूफा कहाते,
ब बना बहना, बिटिया, बेटी
भ भाई का भाभी भी भ से !
मामा-मामी, मौसा-मासी
माँ सम ममता सदा लुटाते,
भ से भार्या, भगिनी भी भ से
ब से बुआ व बहू बन जाते !
बहुत सुंदर रचना की आपने एक नया संसार बसाया प से परिवार में ..!
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार प्रियंका जी !
हटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में सोमवार 17 मार्च 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार दिग्विजय जी !
हटाएंसुन्दर
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