चक्र से बाहर
आने दो यादों के बादल
छाने दो भावों के बादल,
वर्तमान का नभ अनंत है
तिरने दो शब्दों के बादल !
उड़ें हवा संग, हों काफ़ूर
बहकर यहाँ से जायें दूर,
नीला गगन स्वच्छ निर्मल पर
सदा अचल, रहे अडिग हुज़ूर !
तुम भी तो कुछ उसके जैसे
कहाँ ख़त्म होती है सीमा,
हर पल नया रूप धर आये
दिखे न परिवर्तन, हो धीमा !
माना जाह्नवी अति पुरातन
जल इस क्षण में नया आ रहा,
एक चक्र में घूमती सृष्टि
हो जो बाहर, वही देखता !
आने दो यादों के बादल
जवाब देंहटाएंछाने दो भावों के बादल,
वर्तमान का नभ अनंत है
तिरने दो शब्दों के बादल !
बहुत सुंदर काव्य पंक्तियाँ भावपूर्ण सरस अभिव्यक्ति बेरोकटोक