शुभ दीपावली
दीप जले आशा के
अंतर अभिलाषा के,
जगमग यह जगत हुआ
भेद मिटे भाषा के !
ख़ुशियों की लड़ियों में
रंगीं फुलझड़ियों में,
दिल ही ज्यों फूट रहा
दीप की पंक्तियों में !
मीठी मुस्कानों का
मीठा सा स्वाद है,
आँगन में रंगोली
उर में बसी याद है !
मर्यादा पुरुषोत्तम
लक्ष्मी-गणराया की,
दीवाली मंगलमय
सर्वदा हो आपकी !
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