मंगलवार, अक्टूबर 21

शुभ दीपावली

शुभ दीपावली 


दीप जले आशा के 

अंतर अभिलाषा के, 

जगमग यह जगत हुआ 

भेद मिटे भाषा के !


ख़ुशियों की लड़ियों में 

रंगीं फुलझड़ियों में, 

दिल ही ज्यों फूट रहा 

दीप की पंक्तियों  में !


मीठी मुस्कानों का 

मीठा सा स्वाद है, 

आँगन में रंगोली 

उर में बसी याद है !


मर्यादा पुरुषोत्तम 

लक्ष्मी-गणराया की, 

दीवाली मंगलमय 

सर्वदा हो आपकी !


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