विश्वकर्मा पूजा के अवसर पर
माह सितम्बर तिथि सत्रह पर
पूजा होती आदि शिल्पी की,
तकनीकी, विज्ञान के जनक
देव शिरोमणि विश्वकर्मा की !
स्वर्ग, धरा, ब्रह्मांड बनाया
पंच महाभूतों से जिसने,
जड़–चेतन मय इस सृष्टि के
निर्माता व देव सृजन के !
शास्त्र लिखे, शस्त्र बनाये
रोका मारक तेज सूर्य का,
अमरावती रची इंद्र की
रची मनोहर कृष्ण द्वारका !
चक्र सुदर्शन हो विष्णु का
धनुष राम का, शिव त्रिशूल भी,
विविध कलाओं के सर्जक वे
करें वन्दना उस देव की !
उपजे थे समुद्र मंथन से
कलपुर्जों, औजारों के देव,
वास्तुशास्त्री, ब्रह्मापुत्र भी
बहुआयामी शक्तिमय देव !
पुष्पक के भी थे निर्माता
पांच पुत्र हुए जनक कला के,
काष्ठ कला व मूर्तिकला संग
स्वर्ण, लौह, ताम्र शिल्पी वे !
रहने को घर, वाहन गति को
नित नये उपकरणों की देन,
जीवन को जो सुखमय करते
भर जाते हैं मन में चैन !
करें अर्चना देव शिल्पी की
नतमस्तक हो, हो कृतज्ञ हम,
कार्यक्षेत्र फलें फूलें नित
उत्सव सदा मनाएं हम !
आदि-शिल्पी को नमन !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया....
जवाब देंहटाएंआपको भी शुभकामनाएं....
सादर
अनु
विश्वकर्मा या कि,सृष्टिकर्ता,नमन दौनों को.
जवाब देंहटाएंविश्वकर्मा को नमन। उसी के आभारी हैं हम जिसने हमें बनाया।
जवाब देंहटाएंआदि-शिल्पी को नमन शुभकामनाएं....
जवाब देंहटाएंप्रतिभा जी, अनु जी, मन जी व आशा जी आप सभी का स्वागत व आभार !
जवाब देंहटाएं