जीवन ! कितना पावन !
सदा
अछूता ! कोमल शतदल
सरवर
में ज्यों खिला कमल हो,
राजहंस
या तिरता कोई
दूर
गगन तक उड़ सकता हो !
नन्ही
बूंद ओस की जैसे
इन्द्रधनुष
या पंख मयूर
कोमलतम
या प्रीत हृदय की
बाल
रवि का अरुणिम नूर !
निर्मल
नभ की शुभ्र नीलिमा
मंद
पवन वासन्ती या फिर,
रुनझुन
हल्की सी पत्तों में
कलकल
मद्धिम धारा का स्वर !
तुलसी
दल की गंध सुहानी
श्वेत
मालती की ज्यों माला,
मन्दिर
में जलता दीपक या
मोती
से जो बहे उजाला !
सत्य के बिलकुल सटकर
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा
हिंदी को सिखने के लिए आपको पढ़ना बहुत जरूरी सा लगता है।
बहुत ही सुंदर !! पावन से भाव ..!!
जवाब देंहटाएंनिर्मल नभ की शुभ्र नीलिमा
जवाब देंहटाएंमंद पवन वासन्ती या फिर,
रुनझुन हल्की सी पत्तों में
कलकल मद्धिम धारा का स्वर !
बहुत खूबसूरत चित्रण.
आपकी रचना पढ़ कर ऐसा महसूस हुआ कि किसी पावन हवा की खुशबू छू कर गुज़र गयी हो...अद्भुत
जवाब देंहटाएंरोहितास जी, अनुपमाजी,रचना जी और कैलाश जी आप सभी का स्वागत व आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
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