मंगलवार, जनवरी 8

नये वर्ष में




नये वर्ष में

यूँ तो हर घड़ी नयी है
हर पल घटता है पहली बार
हर क्षण जन्मता है समय की अनंत कोख में
प्रथम और अंतिम बार एक साथ
दोहराया नहीं जाता सृष्टि में कुछ भी
क्योंकि अनंत है सामर्थ्य इसका
नहीं आएगा बीता वर्ष दोबारा
इस महायज्ञ में होने शामिल
फिर भी हर आगत को नूतन गढ़ना है
यदि विकास के सोपान पर चढ़ना है
और अंतर में गहरे बढ़ना है
नया अंदाज हो बात को कहने का
सीखें गुर दरिया सा सदा बहने का !


6 टिप्‍पणियां:

  1. सच कहा है हर पल नया है ... पुराना नहीं आता ...
    नया गुर सीखना ही हटा अहि जीवन को सतत रखने के लिए ... आगत को नहीं जो देखता पल भर में विगत हो जाता है ... सुन्दर रचना ...

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  2. त्वरित प्रतिक्रिया के लिए स्वागत व आभार दिगम्बर जी !

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  3. दोहराया नहीं जाता सृष्टि में कुछ भी
    नया साल नई उमंगें नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें

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  4. सच में हर पल पहली बार ही घटता है और नहीं दोहराता अपने आप को...बहुत सुन्दर रचना..

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