‘मैं’ से ‘हम’ होने में सुख है
दिल में जोश गीत
अधरों पर
लिए हाथ में हाथ
डोलते,
इक दूजे के मित्र
बने अब
अंतर्मन के राज
खोलते !
जीवन एक यात्रा
अभिनव
प्रियतम का यदि
संग साथ हो,
‘मैं’ से ‘हम’
होने में सुख है
धूप कड़ी या घन
वर्षा हो !
दिवस महीने बरस
दशक अब
संग-संग जीते
बीते हैं,
नन्ही किलकारियाँ
सी थीं जो
हुई युवा अब उड़ने
को हैं !
सुंदर घर वर देख
भाल कर
उन्हें नये बंधन
में बाँधें,
यही स्वप्न अब मन
में जगता
मात-पिता का धर्म
निबाहें !
इसी तरह
हँसते-मुस्काते
जीवन की मंजिल को
पालो,
निज कौशल
सामर्थ्य बढ़ाकर
इस जग के भी कुछ
गम हर लो !
आज छोटी बहन व बहनोई के विवाह की सालगिरह है.
मैं से हम हो जाना हँसते हँसते कर्म निभाना ...
जवाब देंहटाएंयही तो जीवन के सुखद पल हैं जो साथ बीतें और जीवन बन जाएँ ...
वाह ! सुंदर सकारात्मक शब्दों में कविता का सार आपने प्रस्तुत कर दिया..आभार !
हटाएंबहुत सुंदर!
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार अनुराग जी !
हटाएंजीवन िसी का नाम है.
हटाएंस्वागत व आभार प्रतिभा जी !
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