रविवार, दिसंबर 8

तू

तू 


तू चाहता है 

मैं तुझे सुनूँ 

इसीलिए तूने मेरे कानों में संगीत भर दिया 

तू चाहता है 

मैं तुझे पढ़ूँ 

इसीलिए तूने 

मेरे हाथों में किताबें थमा दीं 

तू चाहता है 

मैं तुझे लिखूँ 

इसीलिए तूने 

मेरे जीवन में चाहत भर दी 

तू चाहता है 

मैं तुझे चाहूँ 

इसीलिए तूने मेरे मन में 

हँसी का बीज बो दिया 



8 टिप्‍पणियां:

  1. मात्राएं दिख /पढ़ी नहीं जा रही हैं | थोड़ा लाइन स्पेस ठीक कर लें |

    सुन्दर |

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    उत्तर
    1. स्पेस बढ़ा दिया है, अब देखें, स्वागत व आभार !

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  2. ईश्वर पर सर्वस्व समर्पित, भक्ति भाव युक्त सुंदर अभिव्यक्ति।
    सादर।
    -----
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना मंगलवार १० दिसम्बर २०२४ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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