हमको हमसे मिलाये जाता है
हर शुबहे को गिराए जाता है
वह हर इक पल उठाये जाता है
खुदी को सौंप कर जिस घड़ी देखा
वह ख़ुद जैसा बनाये जाता है
न दूरी न कोई भेद है उससे
हमको हमसे मिलाये जाता है
चाह जब घेरने लगती हृदय को
भँवर से दूर छुड़ाए जाता है
घेरा हवा औ' धूप की मानिंद
ज्यों आँचल में छुपाये जाता है
हो रहो उसके महफ़ूज़ रहोगे
सबक़ यह रोज़ सिखाये जाता है