फागुन लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
फागुन लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शुक्रवार, मार्च 14

जीवन इक मधुरिम उत्सव है

होली की शुभकामनाएँ 


फागुन मास भरे उल्लास 

पूनम का चाँद जगाये याद, 

उड़ते रंग भरते उमंग 

अबीर, गुलाल, मिटायें मलाल !


मीठी गुझिया भुजिया तीखी

लपट अगन की लौ लगन की, 

छाया वसंत हुआ शीत अंत 

मन मोर थिरक भरे एक ललक !


यह राग-रंग धुन मस्ती की 

बस याद दिलाने ही आती, 

जीवन इक मधुरिम उत्सव है 

कुदरत की हर शै यह गाती !


बुधवार, फ़रवरी 28

गीत उपजते अधरों से यूँ






गीत उपजते अधरों से यूँ


रंग बिखेरे जाने किसने
उपवन सारा महक रहा है,
लाल, गुलाबी, नीले, पीले
कुसुमों से दिल बहक रहा है !

एक सुवास नशीली छायी
मस्त हुआ है आलम सारा,
रँगी हुई है सारी धरती
होली का है अजब नजारा !

फगुनाई भर पवन बह रही
उड़ा रही है पराग गुलाल,
सेमल झूमी, महुआ टपका
फूले कंचन, कनेर, पलाश !

कण-कण वसुधा का हर्षित है
किसने आखिर किया इशारा,
मधुमास में चहकते पंछी
जाने किसने उन्हें पुकारा !

रस टपके मुदिता भी बरसे
कुदरत सारी नई हुई है,
गीत उपजते अधरों से यूँ
जैसे वर्षा बूंद झरी है !

मौसम का ही असर हुआ है
मन मयूर दिनरात नाचता,
बासंती यह पवन सुहाना
अंतर्मन में प्यास जगाता  !

होली रंग बहाती सुखमय
तन के संग-संग मन भीगे,
सारे जग को मीत बना लें
पिचकारी से प्रीत ही बहे !

बुधवार, फ़रवरी 21

फागुन झोली भरे आ रहा




फागुन झोली भरे आ रहा


सुनो ! गान पंछी मिल गाते
मदिर पवन डोला करती है,
फागुन झोली भरे आ रहा
कुदरत खिल इंगित करती है !

सुर्ख पलाश गुलाबी कंचन
बौराये से आम्र कुञ्ज हैं,
कलरव निशदिन गूँजा करता
फूलों पर तितली के दल हैं !

टूटा मौन शिशिर का जैसे
एक रागिनी सी हर उर में,
मदमाता मौसम छाया है
सुरभि उड़ी सी भू अम्बर में !

नव ऊर्जित भू कण-कण दमके
हलचल, कम्पन हुआ गगन में,
पवन चले फगुनाई सस्वर
मधुरनाद गुंजित तन-मन में !

भीनी-भीनी गंध नशीली
नासापुट में महक भर रही,
रंगबिरंगे कुसुमों से नित
वसुंधरा नित राग रच रही !