आयी रुत हेमंत की
सुने होंगे गीत बसंत के कई
शरद की बात भी की होगी
है हेमंत भी उतना ही सलोना
रूबरू शायद नहीं.. यह रुत हुई होगी
सुबह
हल्की धुंध में ढकी
पर शीत अभी दूर है
भली लगे तन पर जो
बहती शीतल पवन जरूर है
सहन हो सकती है धूप अब
क्यारियां खुद गयीं बगीचों में
हो रही पौध की तैयारी
बसंत की रौनक आखिर
हेमंत की है जिम्मेदारी
जल उठेगी जब कोने कोने
माटी के दीयों में शमा
मौसम बदल रहा है
कितना खूबसूरत युग-युग से
प्रकृति का चलन रहा
है
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंशरद ऋतु का बहुत सुन्दर और सजीव चित्रण...
जवाब देंहटाएंओंकार जी व कैलाश जी, स्वागत व आभार !
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