मिजोरम - एक अनोखा प्रदेश (तीसरा भाग )
आज भी सुबह मुर्गे की आवाज आने से पहले ही नींद खुल गयी. आज
की सुबह भी पहले से बिलकुल अलग थी. कमरे की विशाल खिड़की से जिस पर लगे शीशे से बहर
का दृश्य स्पष्ट दिखाई देता है, पर्दे हटा दिए. अभी बाहर अँधेरा था. आकाश पर तारे
नजर आ रहे थे. धीरे-धीरे हल्की लालिमा छाने लगी और गगन का रंग सलेटी होने लगा, फिर
नीला और पांच बजे के बाद सूर्योदय होने से पहले आकाश गुलाबी हो गया. साढ़े पांच बजे
चर्च की घंटी बजने लगी और लाल गेंद सा सूरज का गोला पर्वतों के पीछे से नजर आने
लगा. इसके बाद कुछ दूर कच्चे रास्ते पर नीचे उतर कर हम घाटियों में तिरते बादलों
को देखने गये. दूर-दूर तक श्वेत रुई के से बादलों को पर्वतों की चोटियों पर ठहरे
हुए देखा. नहाधोकर नाश्ता करके साढ़े सात बजे हमने वापसी की यात्रा आरम्भ की, दोपहर
एक बजे वापस आइजोल पहुंच गये. रास्ता सुंदर दृश्यों से भरा था, हरे-भरे जंगल, बेंत
के झुरमुट तथा छोटे-छोटे गाँव था कस्बे. मुश्किल से एकाध जगह ही हमें खेत दिखे. इस
इलाके में झूम खेती की जाती है. मार्ग में पड़ने वाला वानतांग नामक झरना देखने भी
हम गये. काले पत्थरों को काटता हुआ काफी ऊँचाई से बहता हुआ अपनी तरह का एकमात्र
जलप्रपात !
मिजोरम में यह हमारी
अंतिम रात्रि है. दोपहर का भोजन करके हम शहर के कुछ अन्य दर्शनीय स्थल देखने गये.
ताजमहल नामक एक स्मारक जो एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी की स्मृति में बनवाया था,
जिसमें उसके वस्त्र तथा अन्य सामान भी सहेज कर रखे हैं, अब इस स्मारक में उसके पूरे
परिवार को दफनाया गया है. इसके बाद आइजोल की सबसे ऊंची पहाड़ी पर बना थियोलोजिकल
कालेज देखने गये. जहाँ से पूरा शहर दिखाई देता है.
इसके बाद हमारा पड़ाव था निर्माणाधीन सोलोमन टेम्पल, जो पिछले बीस वर्षों से बन रहा है और अभी भी इसके पूरा होने में काफी समय लगेगा. कल दोपहर हमें वापस जाना है.
१८ मार्च २०१७ - आइजोल
१८ मार्च २०१७ - आइजोल
कल रात्रि लगभग एक
बजे से लगतार समूह गान की आवाजें हमारे कानों में सुनाई दे रही हैं. खिड़की से
झांककर देखा तो पिछवाड़े की एक इमारत में लगभग पचास-साथ लोग बेंचों पर बैठे हैं और
एक ड्रम की बीट के साथ लय बद्ध गा रहे हैं, लगातार यह गाने का कार्यक्रम चल रहा
है. गेस्ट हॉउस के रसोइये ने बताया, कल शाम को ही लाऊडस्पीकर पर एक घोषणा की गयी
थी कि कोई व्यक्ति देह त्याग गया है. उसी के शोक में यह गायन चल रहा है. दोपहर बारह
बजे के बाद मृतक को ले जायेंगे.
क्रमशः
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