गुरुवार, मार्च 9

एक दिन



एक दिन


एक दिन आएगा  
जब सही अर्थों में समान होंगे हम 
परमात्मा की ज्योति से दीप्त 
मनु और शतरूपा की भांति 
एक समान आवश्यक 
उसे जन्माने में 
पंछी के दो परों की भांति 
जीवन के हर द्वंद्व की भांति 
अपरिहार्य एक से 
नहीं होगी कोई प्रतिद्वंद्वता 
न कोई स्पर्धा 
न कोई छोटा और बड़ा 
जीवन के पथ पर संग-संग कदम बढ़ाते 
दो मित्रों की भांति हम लिखेंगे 
भविष्य की नई पीढ़ियों का भाग्य 
निज संस्कारों से पोषित करेंगे 
उनकी अछूती कोमल निष्पाप आत्माएं 
एक दिन आयेगा 
जब हम पुनः मिलेंगे 
समान स्तर पर 
न कोई अनुगामी होगा 
न पीछे चलेगा छाया बनकर 
साथ-साथ होकर भी हम 
नहीं खोएंगे अपनी अस्मिताएं 
सृजन करेंगे मूल्यों और दीर्घकालिक परंपराओं का  
जो कभी गीत और कभी नृत्य बनकर 
जीवित रखेंगी हमारी स्मृतियों को ! 

2 टिप्‍पणियां:

  1. दो मित्रों की भांति जीवन के पथ पर कदम बढ़ाते ....-सुन्दर कल्पना है

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  2. स्वागत व आभार प्रतिभा जी, कल्पनाएँ ही एक दिन साकार होती हैं..

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