गुरुवार, जुलाई 12

नदिया सा हर क्षण बहना है



नदिया सा हर क्षण बहना है



ख्वाब देखकर सच करना है 
ऊपर ही ऊपर चढ़ना है,  
जीवन वृहत्त कैनवास है 
सुंदर सहज रंग भरना है !

साथ चल रहा कोई निशदिन 
हो अर्पित उसको कहना है,
इक विराट कुटुंब है दुनिया 
सबसे मिलजुल कर रहना है !

ताजी-खिली रहे मन कलिका
नदिया सा हर क्षण बहना है,
घाटी, पर्वत, घर या बीहड़ 
भीतर शिखरों पर रहना है !

वर्तुल में ही बहते-बहते 
मुक्ति का सम्मन पढ़ना है,
फेंक भूत का गठ्ठर सिर से 
हर पल का स्वागत करना है !

जुड़े ऊर्जा से नित रहकर 
अंतर घट में सुख भरना है,  
छलक-छलक जाएगा जब वह 
निर्मल निर्झर सा झरना है !

3 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर सहज रंग भरना है, सबसे मिलजुल कर रहना है,भीतर शिखरों पर रहना है, अंतर घट में सुख भरना है -- हर पंक्ति गहरी बात कहती है,आगे ही बढ़ते रहने को प्रेरित करती बहुत सुंदर अभिव्यक्ति!

    जवाब देंहटाएं
  2. स्वागत व आभार ओंकार जी !

    जवाब देंहटाएं