मंगलवार, अक्तूबर 30

जगमग दीप दीवाली के


जगमग दीप दीवाली के


कुछ कह जाते
 कुछ दे जाते
सरस पावनी
ज्योति बहाते
जगमग दीप दीवाली के !

संदेसा गर
कोई सुन ले
कही-अनकही
भाषा पढ़ ले
शीतल मधुरिम 
अजिर उजाला
कोने-कोने
में भर जाते
जगमग दीप दीवाली के !

पंक्ति बद्ध
सचेत प्रहरी से
तिमिर अमावस
का हर लेते
खुद मिट कर
उजास बरसाते
रह अकम्प
थिरता भर जाते
जगमग दीप दीवाली के !

14 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 1.11.18 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3142 में दिया जाएगा

    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह , बहुत प्यारा लिखती हैं आप ! बधाई

    जवाब देंहटाएं
  3. जय मां हाटेशवरी...
    अनेक रचनाएं पढ़ी...
    पर आप की रचना पसंद आयी...
    हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
    इस लिये आप की रचना...
    दिनांक 06/11/2018
    को
    पांच लिंकों का आनंद
    पर लिंक की गयी है...
    इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।

    जवाब देंहटाएं
  4. आशा उम्मीद का प्रकाश ले के आते दीपावली के दीप ...
    घर समाज और सबको रौशन करते दीपोत्सव का स्वागत करती सुंदर रचना ...

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर ज्योत्सना से आलोकित रचना ।
    दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. स्वागत व आभार कुसुम जी ! आपको भी हार्दिक शुभकामनायें !

      हटाएं
  6. दीपोत्सव का स्वागत करती सुंदर रचना

    जवाब देंहटाएं