आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (15-10-2022) को "प्रीतम को तू भा जाना" (चर्चा अंक-4582) पर भी होगी। -- कृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें। -- चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है। जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये। -- डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (15-10-2022) को "प्रीतम को तू भा जाना" (चर्चा अंक-4582) पर भी होगी।
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कृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत बहुत आभार शास्त्री जी !
हटाएंहम वही हैं
जवाब देंहटाएंपर जब जुड़े हैं स्रोत से
तो कोई भय नहीं... बहुत सही, अनीता जी
स्वागत व आभार!
हटाएं'उस असीम की लघुतम अभिव्यक्ति हैं हम - अपने में समा कर वही हो जाने का उपक्रम !
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार प्रतिभा जी, आप सही कह रही हैं !!
हटाएंबहुत ही सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंसुंदर पंक्तियाँ।
जवाब देंहटाएंअभिलाषा जी, अनीता जी व नितीश जी आप सभी का हृदय से स्वागत व आभार !
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