मंगलवार, अक्तूबर 25

दिवाली की अगली भोर

दिवाली की अगली भोर 


सूर्य ग्रहण लगने वाला है 

किंतु अभी है शेष  उजाला 

उन दीयों का 

जो बाले थे बीती रात 

जगमग हुईं थी राहें सारी 

गली-गली, हर कोना भू का 

चमक उठा था जिनकी प्रभा से 

ज्योति प्रेम की झलक रही थी 

आशा व विश्वास जगाती 

नयी भोर का 

भर लें मन में नीर कृपा का 

देवी माँ का उजला मुखड़ा

उठा वरद हस्त गणपति का 

कान्हा की मोहक मुस्कान 

हर आँगन में देव उतरते

सँग मानव के क्रीड़ा करते 

विमल प्रेम, उल्लास धरा पर 

युग-युग से लाते 

वे ही चमक हैं भारत माँ की 

देवों के सँग बातें दिल की 

गुरू ज्ञान भी 

अंधकार हर रहे मिटाता 

एक वर्ष फिर करें प्रतीक्षा 

युग-युग से यह पर्व अनोखा 

भर उमंग नव राह दिखाता !




12 टिप्‍पणियां:



  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 26 अक्टूबर 2022 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
    अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।
    >>>>>>><<<<<<<
    पुन: भेंट होगी..

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  2. ये उमंग सदैव सबों को उमगाता रहे। हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  3. देर से ही सही भोर का उजास मिला । सुंदर सृजन ।।

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