बुधवार, अक्टूबर 22

जीवन एक सुवास अनोखी

जीवन एक सुवास अनोखी 

ह्रदय शुद्ध हो 
भाव विमल हों 
मन भी खाली-खाली अपना 

जीवन जैसे कोई लीला 
या फिर भोर काल का सपना !

चाह न जागे
 लौ जब लागे  
अंतर चरणों पर झुक जाये 

जीवन जैसे गीत खुशी का 
या कान्हा की बंसी  गाये !

जो जैसा है 
वैसा ही हो 
मनस  से हर द्वन्द्व मिट जाये 

जीवन एक सुवास अनोखी 
पल-पल अपना साथ निभाये !

 भय कैसा अब
कैसी उलझन 
चला रहा है वह जग सारा 

जीवन इक उपहार अनोखा 
नित्य  नूतन राज खुल जाता !

कभी धूप है 
कभी बदरिया 
बदल रहा नित मौसम बाहर 

जीवन इकरस पलता भीतर
बिछी हो ज्यों फूल की चादर !

शांति बरसती 
कृपा बह रही 
जिस पल द्वार ह्रदय का खुलता

जीवन जैसे मधुर पहेली 
हौले-हौले अंतर खिलता !
 

4 टिप्‍पणियां:

  1. कान्हा बस तेरे रंग रंग जाए मन और ये गीत प्रेम का खुशी से गाये । जीवन सुवास सुरभि बिखेरती अंतर्मन को महकाती बहुत सुंदर रचना ।

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में गुरुवार, 23 अक्टूबर , 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!

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