योगी
प्रमाद की नींद पर
कभी सुदिन खड़ा नहीं होता
यह सही है, जब जाग जाए मन
तभी उसके लिए सवेरा होता !
वे विलग हैं,अनोखे हैं
स्वार्थ उन्हें नहीं चलाता
उनकी ऊर्जा का स्रोत अहंकार से नहीं
परमात्मा से है आता !
भय से भाग खड़े हों
या क्रोध से करें सामना
यह सामान्य जन करते होंगे
विपदा आने पर,
वे योगारूढ़ हो
शांत मन से करते हैं मुकाबला
भीतर ठहर कर !
न लाभ की चिंता है उन्हें
लोभ नहीं डुलाता
निमित्त बने हैं किसी के, कर्ता वही है
उसका काम करना भाता !
ध्यान और समर्पण की गंगा
जहाँ दिन-रात बहती है,
जाग्रत, स्वप्न, सुषुप्ति के पीछे
तुरीया स्वतः ही रहस्य खोल देती है !
अँधेरे में जग जल रहा हो
जब अज्ञान के हाथों
ज्ञान की आँख ही उसको
बचा सकती है !