लन्दन के दंगों को किसी तरह रोका गया तो हिंसा की आग ब्रिटेन के दूसरे शहरों में फ़ैल रही है. ईश्वर की बनाई इस सुंदर दुनिया के किसी भी कोने में घटी हिंसा की वारदातें एक स्वच्छ सतह पर काले धब्बे की तरह चुभती हैं और भीतर कई सवालों का जन्म होता है....
ऐसा कोई क्यों करेगा
वहशी, कुछ दरिंदे, पागल
हाथ में मौत का सामान लिए
दाखिल होते हैं लोगों के हुजूम में
और देखते-देखते भडक उठते हैं शोले
आतंक फ़ैल जाता है,
कुचल दिए जाते हैं हंसते-खेलते जीवन...
अमानवीय कृत्य करने वाले वे भी
जन्मे तो थे इसी धरती पर
खेले थे वे भी किसी के आंगन में
हो सकता है न मिली हो उन्हें माँ की गोद
या स्नेह पिता का
कुंवारी माँ की सन्तान हों
या अलग हो गए हों उनके जनक
उनके जन्म के पूर्व
या फिर पले हों वे छोटी सी आयु से
अकेले सड़कों पर
या बंद घर में, कम्प्यूटर पर गेम खेलते
जहां खून के छींटे पड़ने पर मिलते हैं पॉईंटस्
या छोड़ दिए गए हों
माता-पिता के काम पर जाने के बाद अकेले
टीवी पर हिंसा के दृश्य देख-देख हुए हों बड़े
गोली चलाना सीखा हो शायद पहली बार
किसी खिलौना बंदूक से
जो माँ-बाप ले आए हों उनके दूसरे जन्म दिन पर
और फिर हर वर्ष एक नई पिस्तौल
पूर्व से अधिक विकसित
हिंसा की ट्रेनिंग ले ली हो उन्होंने
गली-मोहल्लों में
बम बनाना, आगजनी सीखी हो दादा लोगों के साये में
या फिर सताया गया हो उनका कोई परिचित (निर्दोष)
पुलिस के हाथों....
वे देखना चाहते हों असली आग की लपटें
लोगों के चेहरे पर भय
स्क्रीन पर होते दृश्य अब उत्तेजित न कर पाते हों उन्हें
या फिर याद आए हों उन्हें हिंसा के वे कारनामे
जिन्हें करके अमर हो गए कुछ सिरफिरे
कैसे विकृत हुआ होगा उनके मस्तिष्क
जिनमे हिंसा का जहर भरा गया होगा धीरे-धीरे
मरती गयी होगी उनकी आत्मा
दफन हो गयी होगी उस जगह
जहां से कोई आवाज नहीं आती...
नहीं तो कोई ऐसा क्यों करेगा...?
मरती गयी होगी उनकी आत्मा
जवाब देंहटाएंदफन हो गयी होगी उस जगह
जहां से कोई आवाज नहीं आती...
नहीं तो कोई ऐसा क्यों करेगा...?
gahan soch...
wkaia koi aisa kyon karega...???
अच्छी कविता है.
जवाब देंहटाएंयह सोचना कि हर आततायी किसी की गलती की उपज है गलत है। कुछ बच्चे गलत संस्कारों या परिस्थितियों के कारण भटक जाते हैं किन्तु कुछ जन्म ही ऐसी वायरिंग लेकर आए होते हैं कि उन्हें परदुख में आनन्द आता है। जो भी हो संसार में जो हो रहा है वह भयंकर हो रहा है।
घुघूती बासूती
मरती गयी होगी उनकी आत्मा
जवाब देंहटाएंदफन हो गयी होगी उस जगह
जहां से कोई आवाज नहीं आती...
नहीं तो कोई ऐसा क्यों करेगा...?
wajib prashna.
soch jagati bahut badhia rachna.
बहुत गहरी सोच का नतीजा है ये कविता……………मगर सच कहा कोई ऐसा क्यो करेगा।
जवाब देंहटाएंSach kaha aapne .... koi wajah nahi.
जवाब देंहटाएंकोई ऐसा क्यों करेगा...?
सही सामायिक विषय पर आपकी प्रतिक्रिया कविता के माध्यम से सभी तक पहुंचे यही कामना है. गहरी सोच का प्रतिबिम्ब है यह. बधाई.
जवाब देंहटाएंमरती गयी होगी उनकी आत्मा
जवाब देंहटाएंदफन हो गयी होगी उस जगह
जहां से कोई आवाज नहीं आती...
नहीं तो कोई ऐसा क्यों करेगा...
-हम्म!! यही हुआ होगा...
आपने बहुत गहन सोच के साथ अनुपम प्रस्तुति की है.
जवाब देंहटाएंरक्षा बंधन के पावन पर्व पर आपको हार्दिक शुभ कामनाएं.
मरती गयी होगी उनकी आत्मा
जवाब देंहटाएंदफन हो गयी होगी उस जगह
जहां से कोई आवाज नहीं आती...
नहीं तो कोई ऐसा क्यों करेगा...?
बहुत ही अच्छा लिखा है ..आभार ।
आपको सलाम है इस पोस्ट के लिए..........
जवाब देंहटाएंमरती गयी होगी उनकी आत्मा
दफन हो गयी होगी उस जगह
जहां से कोई आवाज नहीं आती...
नहीं तो कोई ऐसा क्यों करेगा...?
कितने दर्द को समेत दिया है इसमें......सच है क्या ऐसे लोगो की अंतरात्मा वाकई मर जाती है.......एक प्रश्न खड़ा करती है ये पोस्ट...........बहुत की शानदार लगी|
बहुत सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंआज की सच्चाई
सही बात कही है आपने ....पता नहीं इन्सान ऐसा क्यों होता जा रहा है
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी और सटीक रचना के लिऐ बधाई.....।बहुत अच्छालगा पढकर.....!
जवाब देंहटाएंजब इंसान पर नफरत और गुस्सा हावी हो जाएगा तो वह ज़ुल्म के अलावा और क्या करेगा ?
जवाब देंहटाएंदेखिये
हुमायूं और रानी कर्मावती का क़िस्सा और राखी का मर्म
विचारोत्तेजक... गहन भावाभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंसादर...
आप सभी का आभार!
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति
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