सोमवार, अक्तूबर 20

पर्वों का मेला दीवाली

पर्वों का मेला दीवाली



याद दिलाने सिया-राम की
भरने उर में रस उजास का,
जगमग करता घर चौराहे
आया उत्सव फिर प्रकाश का !

दीपों की ये दीर्घ कतारें
गगन उतर आया ज्यों भू पर,
तमस मिटाने अंतरतम् का
आया है दीपों का उत्सव !

कोना-कोना अपने घर का
स्वच्छ करें, चमचम चमकाते ,
रंगोली, तोरण, ध्वज, लड़ियाँ
भर उर में उल्लास सजाते  !

अंधकार में लख प्रकाश को
लक्ष्मी भूलोक पर आतीं,
देख उजाला जगमग राहें
यहीं अटक कर वह रह जातीं !  

धनतेरस दो दिन पहले है
पर्वों का मेला दीवाली,
एक आस्था युगों-युगों से
बन इक धारा बहती आती !

नरकासुर का अंत हुआ था  
नरसिंह रूप धरा विष्णु ने,
धनवंतरि भी जन्मे इस दिन
लक्ष्मी प्रकटी थीं सागर से !

एक दीप तुलसी के चौरे
याद उसी की कर रख आते,
मीलों तक वैभव हो शोभित,
द्वारे द्वारे दीप जलाते !

यम पूजा छोटी दीवाली
खील, बताशे, खाँड, मिठाई,
गुंजित होता नभ शुभ स्वर से
पूजित हों गणपति, लक्ष्मी !

काली थी जो रात अमावस
पूनम से भी ज्यादा रोशन,
याद कृष्ण की हमें दिलाये
अगले दिन पूजित गोवर्धन !

भाईदूज चला आता फिर
स्नेह बढ़ाता सहोदरों में
अंधकार की हुई पराजय
छा जाती उमंग हर दिल में !  





8 टिप्‍पणियां:

  1. स्वागत व आभार यशोदा जी..दीपोत्सव की बधाई !

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  2. स्वागत व आभार रविकर जी..दीपोत्सव की बधाई !

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  3. स्वच्छता और स्निग्ध-आलोक के साथ व्यक्ति ,परिवार और संपूर्ण समाज के सुख ,समृद्धि एवं कल्याण साधना का पर्व है दीवाली - सबको मंगलमय हो !

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  4. प्रभू के आगमन और दीपों के त्यौहार को सुन्दरता से लिखा अहि आपने ...
    दीपों के इस त्योजार की हार्दिक बधाई ....

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  5. Aapne rachna ke madhyam se bahut dhero jaankari de di.... Sunder prastuti ..dhanteras va deepawali ki shubhkamnaayein aapko !!

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  6. प्रतिभाजी, अनुशा जी, दिगम्बर जी तथा परी जी आप सभी का स्वागत व आभार !

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