नया वर्ष आने वाला है
शब्दों में यदि
पंख लगे हों
उड़ कर ये तुम तक
जा पहुँचें,
छा जाएँ इक सुख
बदली से
भाव अमित जो
पल-पल उमगें !
एक विशाल लहर
सागर सम
अंतरिक्ष में नाद
उमड़ता,
हुआ तरंगित कण-कण
भू का
आह्लाद अम्बर तक
फैला !
आगत का स्वागत
करने को
उत्सुक हैं अब दसों दिशाएं,
करें सभी शुभ
अभिलाषा जब
कंठ कोटि मंगल
ध्वनि गायें !
हर पल मन अभिनव
हो झूमे
नित नूतन ज्यों
भोर सँवरती,
बाँध सके नहीं
कोई ठौर
कहाँ कैद कुसुमों
में सुगन्धि !
बहुत अच्छा लिखा आपने। नमन आपको और आपकी लेखनी को।
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार ध्रुव जी !
हटाएंसुन्दर महकती हुयी रचना ... जिसकी सुगंध भी कैद में नहीं रहेगी ... लाजवाब भावपूर्ण ... नव वर्ष की अग्रिम शुभकामनायें ...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार और आपको भी नव वर्ष की शुभकामनायें !
हटाएंअनुपम
जवाब देंहटाएं''लोकतंत्र'' संवाद के प्रथम अंक में आप सभी महानुभावों का स्वागत है।
जवाब देंहटाएंआदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद ब्लॉग पर 'बृहस्पतिवार' २८ दिसंबर २०१७ को लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
बहुत बहुत आभार ध्रुव जी !
हटाएंमनभावन रचना।
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
हटाएंस्वागत व आभार नीतू जी !
जवाब देंहटाएंइतनी सुन्दर कामना मन विभोर कर गई - तथास्तु !
जवाब देंहटाएंसुस्वागतम प्रतिभाजी..
हटाएंबहुत सुन्दर. नए साल की शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट व सराहनीय प्रस्तुति.........
जवाब देंहटाएंनववर्ष की हार्दिक शुभकामनाओ सहित नई पोस्ट पर आपका इंतजार .....
महकती हुयी रचना नए साल की शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
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