मंगलवार, सितंबर 24

ख्वाबों में जो मिला है



ख्वाबों में जो मिला है


ख्वाबों में जो मिला है
बनकर हकीकत आये,
कितने किये थे सजदे
कई कुसुम भी चढ़ाये !

खोया नहीं था इक पल
बिछड़ा नहीं था खुद से,
वह छुप गया था भीतर
बाहर ही मन लगाये !

कैलाश का है वासी
पातालों में बसे हम,
रहे द्वार बंद दिल के
धारा कहाँ से जाए !

बिखरता सुवास सा वह
पाहन सा  चुभता अंतर,
भला क्यों मिलन घटेगा
बगीचे नहीं सजाये !

बादल सा भरा बैठा
मरुथल बना यह जीवन,
मन मोर बन के नाचे
तत्क्षण ही बरस जाये !

सुख सुहावनी पवन सा
लुटाता जहाँ विजन हो,
अंतर में जग भरा है
कैसे वह गीत गाये !


4 टिप्‍पणियां:

  1. बादल सा भरा बैठा
    मरुथल बना यह जीवन,
    मन मोर बन के नाचे
    तत्क्षण ही बरस जाये !

    ...बहुत सुन्दर भावमयी अभिव्यक्ति..

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  2. ख्वाब हकीकत बन जाएँ तो जीवन का सार मिल जाता है ... यात्रा की इति हो जाती है ...

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    1. वाकई तब न कुछ पाना होता है न कुछ खोना होता है...भीतर के प्रसाद को लुटाना होता है..

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