आशा फिर भी पलती भीतर
राहें कितनी भी
मुश्किल हों
होता कुछ भी ना
हासिल हो,
आशा फिर भी पलती
भीतर
चाहे टूट गया यह
दिल हो !
प्यार की लौ
अकम्पित जलती
गहराई में कलिका
खिलती,
नजरें जरा घुमा
कर देखें
अविरल गंगा पग-पग
बहती !
महादेव रक्षक हों
जिसके
रोली अक्षत हों
मस्तक पे,
किन विपदाओं से
हारे वह
भैरव मन्त्र जपा
हो मन से !
सृष्टि लख जब याद
वह आये
बरबस मन अंतर
मुस्काए,
अपनेपन की ढाल
बना है
बाँह थाम वह पार
लगाये !
सुख-दुःख में
समता जो साधे
मन वह बोले
राधे-राधे,
हँसते-हँसते कष्ट
उठाये
सदा समर्पित जो
आराधे !
वाह...बेहद सकारात्मक सराहनीय सृजन👍
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार श्वेता जी !
हटाएंवाह बेहतरीन रचनाओं का संगम।एक से बढ़कर एक प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंBhojpuri Song Download
स्वागत व आभार !
हटाएंनजरिया बदलते ही सब अपने आप ठीक होने लगता है. सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंपधारें- अंदाजे-बयाँ कोई और
सही कहा है आपने, आभार !
हटाएंअविरल गंगा में डूबाती रचना के लिए आभार ।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रतिक्रिया के लिए आपका भी आभार !
हटाएंचंद लब्जों में...कितना कुछ बयाँ कर दिया आपने!...बहुत खूब
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना ...
जवाब देंहटाएंसमर्पित है आशा, उम्मीद और आध्यात्म का भाव लिए ...
महादेव जिसके साथ हों वो तो सदेव विजेता है ...
सही कह रहे हैं आप..देवों का देव जब किसी के साथ हो तो उसकी सदा जय ही होगी..
हटाएं