ख्वाबों में जो मिला है
ख्वाबों में जो
मिला है
बनकर हकीकत आये,
कितने किये थे
सजदे
कई कुसुम भी
चढ़ाये !
खोया नहीं था इक
पल
बिछड़ा नहीं था
खुद से,
वह छुप गया था
भीतर
बाहर ही मन लगाये
!
कैलाश का है वासी
पातालों में बसे
हम,
रहे द्वार बंद
दिल के
धारा कहाँ से जाए
!
बिखरता सुवास सा
वह
पाहन सा चुभता अंतर,
भला क्यों मिलन
घटेगा
बगीचे नहीं सजाये
!
बादल सा भरा बैठा
मरुथल बना यह
जीवन,
मन मोर बन के
नाचे
तत्क्षण ही बरस
जाये !
सुख सुहावनी पवन
सा
लुटाता जहाँ विजन
हो,
अंतर में जग भरा
है
कैसे वह गीत गाये
!
बादल सा भरा बैठा
जवाब देंहटाएंमरुथल बना यह जीवन,
मन मोर बन के नाचे
तत्क्षण ही बरस जाये !
...बहुत सुन्दर भावमयी अभिव्यक्ति..
स्वागत व आभार कैलाश जी !
हटाएंख्वाब हकीकत बन जाएँ तो जीवन का सार मिल जाता है ... यात्रा की इति हो जाती है ...
जवाब देंहटाएंवाकई तब न कुछ पाना होता है न कुछ खोना होता है...भीतर के प्रसाद को लुटाना होता है..
हटाएं