शनिवार, फ़रवरी 19

चलना है हमको नव पथ पर

 चलना है हमको नव पथ पर 

देश, प्रदेश, शहर, गाँव सभी 

बुला रहे हैं हसरत भर कर,  

हाथ मिला लें, कदम बढ़ा लें 

चलना है हमको नव पथ पर  !


माना लंबी राह सामने 

निकल पड़ें हम साथ डगर पर, 

इक दूजे का हाथ थामते 

सारा जग लगता आँगन घर !


बनें चेतना की चिंगारी 

जगमग दीप जलाएँ मिलकर, 

ज्योति उस करुणामयी माँ की

चलती फिरती आग बनें फिर !

 

भस्म करे सारी भय बाधा 

पथ प्रशस्त कर दे जीवन का, 

बाहर भीतर भेद मिटा दे 

 पावन वही प्रकाश बनें हम !


चाहे दुःख  की ज्वालाएँ हों 

 शीतल सावन हो अंतर में, 

जो न कभी कम हो बहने से 

नयनों का उल्लास बनें हम !


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