गुरुवार, मई 30

जब तक

जब तक 


खुश रहना और ख़ुशी बाँटना 

ये दो ही करने योग्य काम हैं जगत में 

जब तक यह समझ में नहीं आता 

मन उदास रहता है 

प्रेम देना और प्रेम पाना 

बस ये दो ही लक्षण हैं स्वस्थ मन के 

जब तक ये दिखायी न दें 

मन निराश रहता है 

शांत रहना और अशांत न बनाना 

ये दो ही अर्थ देते हैं जीवन को 

जब तक यह भान न हो 

मन परेशान रहता है 

निर्भय रहना और अभय देना  

बस दो ही गुण हैं जिन्हें धारण करना है 

जब तक ये न मिलें 

मन हैरान रहता है 

जो ‘मैं’ हूँ सो ‘तू’ है 

यही ज्ञान है सच्चा 

जब तक यह भान न हो 

मन अनजान रहता है !


9 टिप्‍पणियां:

  1. काश हम सीखें और आत्मसात भी करें |

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  2. बहुत बहुत आभार यशोदा जी !

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  3. खुश रहना और खुशी बांटना बस यह ही दो करने योग्य काम हैं जगत में - - निसंदेह सत्य काश सब लोग यह बात समझ पायें।

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